करवा चौथ का व्रत उत्तर भारत में विशेष रूप से बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ 04 नवंबर, बुधवार के दिन मनाया जाएगा। करवा चौथ में भगवान गणेश की वंदना समेत भगवान शंकर, माता पार्वती और चंद्रदेवता की पूजा होती है। बुधवार के दिन करवा चौथ पड़ने के कारण इसकी महत्ता और भी बढ़ गई है क्योंकि बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, चांद के दीदार होने के समय से लेकर पूजा विधि समेतकरवा चौथ के बारे में 10 महत्वपूर्ण बातें...
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की मनोकामना के साथ रखती हैं।
इस व्रत में विवाहित महिलाएं सुबह से निर्जला व्रत रखती हैं फिर रात को चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद व्रत तोड़ती हैं।
करवा चौथ व्रत वाले दिन शाम को चंद्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले ही पूजा आरंभ कर देनी होती है।
करवा चौथ का व्रत विशेष रूप से पंजाब में मनाया जाता है। व्रत से पहले सरगी खाया जाता है। सरगी विवाहित महिलाएं जो करवा चौथ का व्रत करती है उनकी सास के द्वारा तैयार की जाती है। जिसे वह करवा चौथ वाले दिन सूर्योदय से पहले खाती हैं।
पंजाब के अलावा करवाचौथ का व्रत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी मनाया जाता है। यहां पर करवा चौथ में गौर माता की पूजा होती है जिसमें गाय के गोबर से गौर माता की प्रतिमा बनाई जाता है।
करवा चौथ में छलनी के माध्यम से चांद के दर्शन कर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। फिर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत पूरा किया जाता है।
इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा- आराधना की जाती है फिर करवाचौथ व्रत की कथा सुनी जाती है।
करवा चौथ का व्रत दिवाली के 10 या 11 दिन पहले मनाया जाता है।
करवा चौथ, 4 नवंबर 2020करवा चौथ पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 30 मिनट से लेकर 6 बजकर 48 मिनट तककरवा चौथ पर चंद्रोदय का समय- रात 8 बजकर 15 मिनट पर चतुर्थी तिथि का आरंभ, 04 नवंबर - 03:24चतुर्थी तिथि समाप्त, 05 नवंबर- 05:14