पोलियो वायरल संक्रमण से होने वाली एक ऐसी बीमारी है जो ठीक नहीं हो सकती. इससे बच्चों में विकलांगता आ सकती है. ऐसे में बचपन में पोलियो का टीका लगाकर आप अपने बच्चों को इस बीमारी से बचा सकते हैं. यह टीका शिशु की पोलियो या पोलियोमायलाइटिस से सुरक्षा करता है. यह वायरस छोटे बच्चों में अधिक फैलता है. यह पैरों को ज्यादा प्रभावित करता है इसलिए उन्हें इससे सुरक्षित रखने के लिए बच्चों को पोलियो ड्राप देना जरूरी है.
किस उम्र में पोलियो ड्रॉप देना चाहिए?
नवजात शिशु से लेकर 5 साल तक के बच्चों को पोलियो की खुराक पिलानी जरूरी होती है. छोटे बच्चों को संक्रमण का ज्यादा खतरा होता है. ऐसे में जरूरी है कि आप समय-समय पर बच्चे को ड्राप पिलाते रहें. 5 साल तक के बच्चों पोलियो ड्रॉप पिलाकर इस गंभीर बीमारी से बचाया जा सकता है.
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पोलियो कैसे शरीर पर असर करता है?
पोलियो वायरस मांसपेशियों को कमजोर कर देता है, जिससे बच्चे स्थिर हो जाते हैं. ज्यादातर बच्चों के पैर पर पोलियो वायरस का प्रभाव होता है. वहीं कई बार यह वायरस सर की मांसपेशियों पर भी आक्रमण करता है. कुछ बच्चों को पोलियो में सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, हाथ-पैर में दर्द होता है. 70 प्रतिशत केस में पोलियों के लक्षण नहीं दिखाई देते और यह बीमारी सिर्फ पोलियो संक्रमण से ही दूर होती है.
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क्या पोलियो ड्रॉप बचाता है संक्रमण से
पोलियो की एक बूंद बच्चे को इस संक्रमण से सुरक्षित रखती है. दरअसल, पोलियो से बचाने के लिए (ओपीवी) ओरल पोलियो वैक्सीन दिया जाता है, जिससे बच्चा पूरी तरह से पोलियो से सुरक्षित रहता है. दस्त और उल्टियां हो तो भी यह दवा पिलायी जा सकती है.
इसके साथ ही नवजात शिशु को भी पोलियो की दवा दी जानी चाहिये. नवजात शिशु के लिए भी पोलियो की खुराक उतनी ही जरूरी है, जितनी कुछ महीने या कुछ साल के बच्चे के लिए. नवजात को पोलियो की दवा पिलाने का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता.
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टीकाकरण इस प्रकार करायें
बच्चे के जन्म के बाद छठे, दसवें व चौदहवें हफ्ते में टीकाकरण करवाना चाहिए. वहीं 16 से 24 महीने की आयु में बूस्टर डोज दी जानी चाहिए. इसके अलावा जब भी सरकार (Government) द्वारा पोलियो अभियान चलाया जाए तो बच्चे को यह दवा जरूर पिलाएं और स्वस्थ बनायें.