नवरात्रि 8वां दिन : महागौरी माता को ऐसे करें प्रशन्न, पूजा विधि,कथा,आरती,मंत्र.

देवी का आठवां विग्रह महागौरी का है। महागौरी अक्षत सुहाग की अधिष्ठात्री हैं। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार कुंवारी कन्याओं की भी महागौरी देवी हैं।

नारी सुलभ गुणों के लिए ये विख्यात हैं। इनकी आराधना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इनका वर्ण गौर है। सौंदर्य इनको अति प्रिय है। इनकी उपमा शंख, चन्द्र और कुन्द पुष्प से की गयी है।
श्वेतवस्त्र धारण करने वाली देवी महागौरी का वाहन वृषभ(बैल) है। इनके एक हाथ की अभय मुद्रा और दूसरे हाथ में त्रिशूल है। चतुर्भुजी महागौरी के एक हाथ में डमरू भी सुशोभित है।
 माता का गौर वर्ण कैसे हुआ?
पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि देवीशास्त्र के अनुसार भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए देवी ने कठोर तप किया। इस तप से देवी का पूरा शरीर काला पड़ गया। भगवान शंकर ने गंगाजल छिड़का तो देवी गौर वर्ण की हो गयीं।
श्रीदुर्गा सप्तशती के अनुसार असुरों को आसक्त करने के लिए देवी गौर वर्ण में आयीं। चंड-मुंड ने देवी को देखा तो जाकर शुम्भ से बोला कि महाराज! हमने हिमालय में एक अत्यन्त मनोहारी स्त्री को देखा है जो अपनी कान्ति से हिमालय को प्रकाशित कर रही है।
ऐसा उत्तम रूप किसी ने नहीं देखा होगा। आपके पास समस्त निधियां हैं। यह स्त्री रत्न आप क्यों नहीं अपने अधिकार में ले लेते? शुम्भ ने सुग्रीम को दूत बना कर देवी के पास भेजा। देवी बोलीं कि मैंने प्रण किया है कि जो मुझे रण में पराजित कर देगा, वही मेरा वरण करेगा। कालान्तर में असुरों का देवी के साथ युद्ध हुआ।
धूम्रलोचन, रक्तबीज, चंड-मुंड और शुम्भ- निशुम्भ सभी काल की गर्त में समा गए। संग्राम में देवी अनेकानेक स्वरूपों के साथ प्रगट हुईं और फिर महागौरी(महादुर्गा) के रूप में एकाकार हो गयीं।
मां महागौरी की पूजा विधि
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए. रात की रानी के फूल माता महागौरी को अधिक पसंद है. इसलिए इस दिन फूल से पूजा करनी चाहिए.
माता को चौकी पर स्थापित करने से पहले गंगाजल से स्थान को पवित्र करें. चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका यानी 16 देवियां, सप्त घृत मातृका यानी सात सिंदूर की बिंदी लगाकर स्थापना करें. माता की सप्तशती मंत्रों से पूजा करें.
पूजन सामग्री
गंगा जल, शुद्ध जल, कच्चा दूध, दही, पंचामृत, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण,पान के पत्ते, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, धूप, कपूर, लौंग, अगरबत्ती से माता की पूजा की जाती है.
महागौरी की पूजा का फल
नवरात्र के दिनों में मां महागौरी की उपासना का सबसे बड़ा फल उन लोगों को मिलता है जिनकी कुंडली में विवाह से संबंधित परेशानियां हों. महागौरी की उपासना से मनपसंद जीवन साथी एवं शीघ्र विवाह संपन्न होगा.
मां कुंवारी कन्याओं से शीघ्र प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा जीवन साथी प्राप्त होने का वरदान देती हैं. महागौरी जी ने खुद तप करके भगवान शिवजी जैसा वर प्राप्त किया था ऐसे में वह अविवाहित लोगों की परेशानी को समझती और उनके प्रति दया दृष्टि रखती हैं.
यदि किसी के विवाह में विलंब हो रहा हो तो वह भगवती महागौरी की साधना करें, मनोरथ पूर्ण होगा.
नवरात्र व्रत: साधना विधान (पूजन विधि)
महागौरी की पूजा करने का बेहद सरल उपाय (विधान) है. सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति मूर्ति अथवा तस्वीर स्थापित करें.
इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें तथा यंत्र की स्थापना करें. मां सौंदर्य प्रदान करने वाली हैं. हाथ में श्वेत पुष्प लेकर मां का ध्यान करें.
ध्यान के बाद मां के श्री चरणों में पुष्प अर्पित करें तथा यंत्र सहित मां भगवती का पंचोपचार विधि से अथवा षोडशोपचार विधि से पूजन करें तथा दूध से बने नैवेद्य का भोग लगाएं.
तत्पश्चात् ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे. मंत्र की तथा साथ में ॐ महा गौरी देव्यै नम: मंत्र की इक्कीस माला जाप करें तथा मनोकामना पूर्ति के लिए मां से प्रार्थना करें. अंत में मां की आरती और कीर्तन करें.
मन्त्र
कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम।
पूजयेत् परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकम्।।
ध्यान
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।  
तिथि और शुभ मुहूर्त हृषिकेश पंचांग के अनुसार : 
अष्टमी को नारियल दान में देने का विधान है. मान्यता है कि मां को नारियल का भोग लगाने से नि:संतानों की मनोकामना पूरी होती है.
अष्टमी को विविध प्रकार से भगवती जगदंबा का पूजन कर रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन करें तथा नवमी को विधिपूर्वक पूजा-हवन कर 9 कन्याओं को भोजन कराना चाहिए.
महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया ।जया उमा भवानी जय महामाया ।। हरिद्वार कनखल के पासा ।महागौरी तेरा वहां निवासा ।। चंद्रकली ओर ममता अंबे ।जय शक्ति जय जय मां जगदंबे ।। भीमा देवी विमला माता ।कौशिकी देवी जग विख्याता ।। हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा ।महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ।। सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया ।उसी धुएं ने रूप काली बनाया ।। बना धर्म सिंह जो सवारी में आया ।तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ।। तभी मां ने महागौरी नाम पाया ।शरण आनेवाले का संकट मिटाया ।। शनिवार को तेरी पूजा जो करता ।मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ।। भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो ।महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो ।।
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