मानसिक तनाव और स्वास्थ्य

मनुष्य सांसारिक उन्नति के लक्ष्य को क्रि यान्वित करने के लिए मस्तिष्क में नई-नई कल्पनाओं के स्वरूप को तैयार करता है। यदि उचित समय पर उनका उपयोग नहीं किया जाता तो ये मानसिक तनाव का रूप धारण कर लेते हैं।

संकीर्ण विचारधारा में जीवन को व्यतीत कर रहे मनुष्य को हल्के शब्द भी उत्प्रेरक का काम करते हैं जो मानसिक तनाव में वृद्धि कर देते हैं। परिवार में नित्य कलह, क्लेश, द्वेष जलन की भावनाओं का समूह मन के विचारों को द्वन्द्व से परिपूर्ण कर मस्तिष्क को और जीवन को प्रभावित करता है।
आध्यात्मिक परिवेश में शुद्ध विचारों की आवृत्ति मानसिक तनाव को कम करती है। मनुष्य के विचारों में उत्पन्न विकार वृद्धि में परिवर्तन सत्य और पवित्र अमृत रूपी शब्दों से होता है जिससे भावनाएं निर्मल बनती जाती हैं लेकिन एक दिशा कट्टरपन की ओर प्रेरित करती है। जो मनुष्य मानसिक दबाव के चंगुल में फंस गया, वह छोटी-छोटी चीजों से तुरन्त प्रभावित होता है।
मानसिक तनाव से परिपूर्ण मनुष्य के शरीर में शनै:-शनै: निर्बलता का प्रभाव होता है जिससे पाचन तंत्र में गड़बड़ी होना प्रारंभ हो जाती है। स्मरण शक्ति कम हो जाती है। शरीर में बल कम होना प्रारंभ हो जाता है। मानसिक तनाव की उत्पत्ति के मूल कारणों को जाने बिना किसी भी चिकित्सक से औषधि का सेवन करने में संकोच करें। औषधियों का कुप्रभाव शरीर में विकृति के रूप को बढ़ाता है। शरीर की संरचना में मस्तिष्क को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। यदि मस्तिष्क प्रदूषित हो जाएगा तो उसका प्रभाव शरीर के अन्य भागों के कार्य में प्रतिरोध उत्पन्न करेगा।
स्त्रियों के मुकाबले में पुरूष के अन्दर मानसिक तनाव की अधिकता अधिक होने के कारण अपनी भावना को तुरन्त प्रकट करने की प्रवृत्ति होती है लेकिन मनुष्य के अपने हृदय में पनप रहे नकारात्मक प्रश्नों के जवाब जब तक प्राप्त नहीं होते, तब तक वैसे ही विचार करके दिलो दिमाग में गूंजते रहते हैं। वह स्वयं ही जब उन्हें क्रि यान्वित नहीं करता, अपने मानसिक तनाव को बढ़ाता रहता है।
मनुष्य आध्यात्मिक आनन्द के परिवेश से मानसिक तनाव को दूर कर सकता है। जब तक मनुष्य नकारात्मक सोच का त्याग नहीं करता, वह मानसिकता को बदल नहीं सकता। आज विश्व में अधिक मनुष्य नकारात्मक सोच के कारण मानसिक तनाव से पीडि़त हैं। खान-पान के परिवेश से भी मनुष्य मस्तिष्क पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
जो लोग तनाव को दूर करने के लिये शराब एवं नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, वे हीन भावना और मानसिक तनाव में ग्रस्त होते चले जाते हैं। अपने आपको इन पदार्थों से मुक्त रहकर स्वच्छ वातावरण का निर्माण करके खुशहाल जीवन की बुनियाद रखी जा सकती है। बच्चों के साथ यदि तनाव वाली स्थिति को प्रकट किया जाता है तो उनके कोमल मन पर असर पड़ता है जिसके कारण उनमें चिड़चिड़ापन उत्पन्न हो जाता है और मानसिक विकारों में वृद्धि होती है।
-सविता बिहानियां

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