कोरोना महामारी के बीच फिलहाल पूरी दुनिया में इसको लेकर शोध किए जा रहे हैं। इसकी वैक्सीन तैयार करने की कोशिशें जारी हैं। इस बीच कोरोना के संभावित इलाज को लेकर कई दवाएं चर्चा में हैं।
जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, इसमें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, रेमेडेसिविर और आइवरमेक्टिन जैसी दवाएं शामिल हैं।
देश में फिलहाल कई राज्यों में एंटी पैरासिटिक ड्रग आइवरमेक्टिन का कोरोना के संभावित इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है। अब इस दवा के इस्तेमाल को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जरूरी फैसला किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के इलाज के राष्ट्रीय चिकित्सक प्रबंध प्रोटोकॉल में आइवरमेक्टिन को शामिल ना करने का फैसला किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि कोरोना से संक्रमित मरीजों के संभावित इलाज के लिए इस दवा का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। आइवरमेक्टिन एक एंटी परजीवी दवा है।
एक सूत्र ने बताया कि उत्तर प्रदेश सहित कुछ राज्य पहले से ही न केवल इलाज के विकल्प के रूप में बल्कि COVID-19 के खिलाफ प्रोफिलैक्सिस के रूप में भी इस दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है।
आइवरमेक्टिन दवा एक एंटी परजीवी ड्रग है। आइवरमेक्टिन दवा का इस्तेमाल पहले से ही व्यापक रूप से आंतों के परजीवी और खुजली के खिलाफ किया जाता है। यह अपेक्षाकृत सुरक्षित और सस्ती दवा है।
COVID-19 के लिए ICMR के नेशनल टास्क फोर्स के विशेषज्ञों और संयुक्त निगरानी समूह ने गुरुवार को अपनी बैठक में इस बात पर विचार-विमर्श किया कि क्या दवा को राष्ट्रीय उपचार दिशानिर्देशों में शामिल किया जाना चाहिए।
एक सूत्र ने कहा कि विचार-विमर्श के बाद विशेषज्ञों ने भारत और विदेश में आयोजित रीक्षणों के आधार पर इसकी प्रभावकारिता पर पर्याप्त सबूतों की कमी के कारण COVID-19 के लिए Ivermectin को राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल में शामिल नहीं करने का फैसला किया।