पित्त की थैली की पथरी ने कर द‍िया है बुरा हाल, तो इन देसी नुस्‍खों से करें इलाज

पित्त की थैली की पथरी ने कर द‍िया है बुरा हाल, तो इन देसी नुस्‍खों से करें इलाज

By OnlyNews24 -- 2020-10-22-12:17
नई दिल्ली : आजकल अपच, एसिडिटी, पेट में भारीपन व खाने के बाद पेट फूलना जैसी समस्याएं आम हैं। आमतौर पर इन समस्याओं को हम सामान्य मानते हैं। लेकिन अगर ये समस्या लगातार हो रही है तो इसे ज्यादा दिनों तक नजरअंदाज न करें क्योंकि ये पित्त की थैली में स्टोन की समस्या भी हो सकती है। लापरवाही करने पर समस्या बढ़कर काफी गंभीर होकर जानलेवा भी हो सकती है। आइए जानते है इस बारे में।Gallstone यानी पित्त की पथरी के कारणों का अभी कोई स्पष्ट प्रमाण सामने नहीं आया है। सामान्यत: आजकल के खराब लाइफस्टाइल को इसका कारण माना जाता है। कुछ विशेषज्ञ मोटापा, मोटापे के बाद सर्जरी व कुछ विशेष दवाओं का भी इसका कारण मानते हैं।सामान्यत: गॉल स्टोन के लक्षण भी सामने नहीं आते हैं।
आमतौर पर इस समस्या से जूझ रहे लोगों को एसिडिटी, अपच, पेट में भारीपन, पेट खराब रहने जैसी समस्याएं होती हैं। लोग इन लक्षणों को देखकर नहीं समझ पाते कि उन्हें पथरी की समस्या भी हो सकती है। लेकिन जब समस्या बढ़ जाती है तो कुछ लोगों को पेट के ऊपरी हिस्से की दायीं तरफ दर्द महसूस होता है। अधिक मात्रा में गैस की फर्मेशन हो सकता है, उल्‍टी व पसीना आना जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। इसलिए लंबे समय तक पेट में बनने वाली एसिडिटी व गैस को सामान्य न लें। फौरन डॉक्टर को दिखाएं।लापरवाही करने से कई बार पथरी पित्त की थैली यानी गॉल ब्लैडर से निकलकर पाइप लाइन में फंस जाती है। ऐसे में मरीज को पीलिया बन जाता है। पीलिया गॉल स्टोन के कारण होता है, तो उसका इलाज स्टोन निकलवाने के बाद ही संभव होता है।
गॉलस्टोन निकलवाए बगैर दवाएं असर नहीं करतीं। इसके अलावा स्टोंस अगर ज्यादा हैं तो गॉल ब्लैडर फटने का भी डर रहता है।गॉल ब्लैडर का एक ही इलाज है, वो है सर्जरी। ये किडनी स्टोन की तरह दवाओं से नहीं निकलता। गॉलस्टोन बहुत दर्द वाली परेशानी नहीं देता, इसलिए कई लोग लंबे समय तक इसे पड़ा रहने देते हैं। इस चक्कर में बीमारी गंभीर रूप ले लेती है।यदि गॉल ब्लैडर में स्टोन है तो घबराएं नहीं, इसकी समय रहते सर्जरी कराएं ताकि रोग गंभीर न हो। सर्जरी के लिए मात्र एक दिन का समय चाहिए होता है क्योंकि आजकल ये दूरबीन विधि से होती है। इसमें पित्त की थैली को ही निकाल दिया जाता है। मरीज तीसरे से चौथे दिन रुटीन वर्क में आ जाता है।इस समस्या से बचने के लिए गरिष्ठ व अधिक चिकनाईयुक्त भोजन से परहेज करें।
बाहर का जंकफूड और फास्टफूड खाने से बचें। फाइबरयुक्त डाइट ज्यादा खाएं। खाने से पहले सलाद खाएं। रात का खाना समय से खाएं और खाने के बाद थोड़ी देर जरूर टहलें। रोजाना व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इसके अलावा ये उपाय जरुर अपनाएं।पुदीने के पत्‍ते का रस निकालें ओर उसे गरम पानी के साथ मिला लें । या पुदीने के पत्‍ते को ही पानी के साथ उबाल लें । इस पानी में एक चम्‍मच शहद मिलाएं और पी जाएं । ये आपको बहुत राहत पहुंचाएगा । पुदीने में मौजूद औषधीय गुण आपके पाचन संबंधी परेशानी को दूर करेंगे । पित्‍त की थैली में मौजूद पथरी पर भी प्रभावी रूप से काम करेंगें ।फॉलिक एसिड से भरपू सेब का जूस और सिरका पित्‍त की पथरी को गलाने में अचूक असरदार है। रोज इसका सेवन गुनगुने पानी के साथ करें तो पथरी की समस्‍या खत्‍म हो सकती है।
इसके अलावा आप नाश्‍पती के जूस का प्रयोग भी कर सकते हैं । इसमें भी सिरका जैसे ही गुण पाए जाते हैं । नाशपती में पैक्टिन तत्‍व पाया जाता है, ये लीवर में कॉलेस्‍ट्रॉल को बनने से और जमने से रोकता है। नाशपती का जूस रोज पीने से पथरी की संभावनाएं कम होती हैं।एक बीट रूट और एक खीरा लें, छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें और जूस बना लें । इस जूस का सेवन रोज करें। पित्‍त की पथरी पर असरदार ये जूस शरीर को पर्याप्‍त मात्रा में विटामिन सी देता है। पित्‍त की थैली में मौजूद पथरी को ये असरदार तरीके से दूर कर देता है, इसे रेंगुलरली लेना जरूरी है । इसमें मौजूद तत्‍व पथरी को प्राकृतिक रूप से गलाते हैं ओर शरीर से बाहर कर देते हैं ।
व्रत वाले नमक के रूप में जाना जाने वाला ये नमक पथरी को गलाने में अचूक असरदार है। एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच सेंधा नमक मिलाकर पी जाएं। इस तरह से पथरी गल जाती है । दिन में 2 बार पीने से पित्‍त की पथरी के दर्द में भी आराम मिलेगा । सेंधा नमक का प्रयोग बहुत अधिक ना करें, अधिक मात्रा में नमक आपके शरीर में सोडियम की मात्रा को बढ़ा सकता है।तुरई की बेल को अच्‍छे से पीस लें। अब इसे रोज सुबह ठंडे दूध या ठंडे पानी के साथ लें। कुछ ही दिनों में आपको पथरी में आराम मिलने लगेगा। और धीरे-धीरे बिना किसी दूसरी दवाई के पथरी गलने लगेगी। पथरी से उठने वाले दर्द में भी तुरई की बेल का ये उपाय फायदेमंद साबित होता है।
दर्द होने पर इस रस का सीधे सेवन भी कर सकते हैं, ये बहुत फायदा पहुंचाएगा।गॉल ब्लैडर के स्टोन में साइज से कोई फर्क नहीं पड़ता। पथरी चाहे 2 एमएम की हो या दो सेंटीमीटर की हो, ये गॉल ब्लैडर की परत को खराब करती है। धीरे धीरे ये परत मोटी हो जाती है और ये कैंसर का रूप धारण कर लेती है। रिसर्च में सामने आया है कि यदि पथरी तीन सेंमी. से बड़ी है और लगातार दस सालों तक पित्त की थैली में है तो इसके 99 प्रतिशत कैंसर में तब्दील होने की आशंका होती है। देश में तमाम मरीज इस मामले में लापरवाही बरतते हैं और सर्जरी नहीं कराते हैं, जिसके कारण वे गॉल ब्लैडर के कैंसर के शिकार हो जाते हैं। गॉल ब्लैडर का कैंसर लाइलाज है क्योंकि इसमें न तो सर्जरी संभव है और न ही कीमोथैरेपी या रेडियोथैरेपी हो सकती है।
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