अप्रिय विचारों को दूर रखने में मददगार है अच्छी नींद, जानें कितना सोना है जरूरी

नींद और सेहत के संबंधों को लेकर दुनियाभर में अध्ययन होते रहते हैं। ज्यादातर शोध निष्कर्षों में यह बात सामने आई है कि अच्छी सेहत के लिए भरपूर नींद जरूरी है। एएनआइ के अनुसार अमेरिका के कुछ शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में नींद और मनोवैज्ञानिक स्थितियों के संबंधों को जानने की कोशिश की। इस दौरान पता चला कि अच्छी और सुकून देने वाली नींद अवांछित व अप्रिय विचारों को पैदा होने से रोकने में मदद करती है।

लंबे समय तक याद रहते हैं हादसे : अध्ययन का नेतृत्व करने वाले व यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के मनोविज्ञान विभाग से जुड़े शोधकर्ता डॉ. मार्कस र्हैंरगटन के अनुसार, 'दुनियाभर में होने वाले हादसे हमें खुद से जुड़ी अप्रिय वारदात की याद दिलाते हैं। जैसे, किसी हाईवे पर तेज गति से दौड़ती कार आपको वर्षों पहले हुए हादसे की याद दिला सकती है। ज्यादातर लोग परिस्थितिजन्य यादों को जल्द भूल जाते हैं। लेकिन, मानसिक परेशानियों से गुजर रहे लोगों के दिमाग में ये लंबे समय तक बनी रहती हैं। कई बार ऐसी यादें व्यक्ति को अनियंत्रित भी कर देती हैं।'

कम सोने वाले 50 फीसद ज्यादा परेशान : शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों की नींद अच्छी नहीं थी उन्हें नकारात्मक व अप्रिय यादों को दूर रखने में 50 फीसद तक ज्यादा परेशानी हुई। एएनआइ के अनुसार वरिष्ठ लेखक डॉ. स्कॉट कैरने कहते हैं कि इस अध्ययन से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य व नींद के संबंध सामने आए हैं। यह नींद न आने के कारण होने वाली मानसिक बीमारियों के इलाज में मददगार साबित हो सकती है।
हर व्यक्ति की क्षमता अलग : शोधकर्ता कहते हैं, अवांछित और अप्रिय विचारों को भूलने की क्षमता हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। हालांकि, अब तक लोग नहीं जानते थे कि यह क्षमता अलग-अलग क्यों होती है। नया अध्ययन यह बताता है कि नींद एक अहम कारक है, जो अवांछित व अप्रिय विचारों को दूर रखने संबंधी व्यक्ति की क्षमता को प्रभावित करती है।
कितना सोना जरूरी : विशेषज्ञों का मानना है कि एक स्वस्थ व्यक्ति को 6-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। कुछ विशेषज्ञ वयस्कों के लिए 7-9 घंटे की निर्बाध नींद की सलाह देते हैं। हालांकि, ज्यादातर विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को कम से कम छह घंटे की अच्छी नींद जरूर लेनी चाहिए।
60 लोगों पर किया गया अध्ययन : अध्ययन के दौरान 60 स्वस्थ प्रतिभागियों को युद्ध क्षेत्र की अथवा शहर में हुए भूस्खलन की नकारात्मक तस्वीरें दिखाई गईं। उस रात कुछ लोगों को समुचित नींद लेने दिया गया, जबकि कुछ को कम देर के लिए सोने दिया गया। अगली सुबह उनसे तस्वीरों के बारे में पूछा गया। जिस समूह के लोगों को समुचित नींद लेने दिया गया था उनके मुकाबले कम सोने वाले लोगों को अपने दिमाग से नकारात्मक व अप्रिय यादों को दूर रखने में काफी परेशानी हुई। जिन्होंने अच्छी नींद ली स्वेट टेस्ट में भी उनकी प्रतिक्रिया कम रही, जबकि कम नींद लेने वालों की ज्यादा रही। स्वेट टेस्ट एक वैज्ञानिक परीक्षण है, जिसके जरिये मनोवैज्ञानिक स्थितियों का आकलन किया जाता है।

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