जब एक ऊंचे साहित्यकार के कुत्ते ने खिड़की से कूदकर आत्महत्या कर ली

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मेरे इलाके के एक ऊंचे साहित्यकार के कुत्ते ने खिड़की से कूदकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या की खबर जैसे ही फेसबुक पर वायरल हुई, तरह-तरह के शोक संदेशों की धारा बहने लगी। किसी ने कुत्ते को नमन लिखा तो किसी ने फूल चढ़ाए तो किसी ने कुत्ते के साथ अपने निजी मधुर संबंधों का खुलासा किया। किसी ने कुत्ते की आत्महत्या की मनोवैज्ञानिक व्याख्या की है। देखते ही देखते साहित्यकार के फेसबुक पेज पर तकरीबन पांच सौ लाइक और आठ सौ कमेंट आ चुके थे।
कुत्ते ने आत्महत्या क्यों की, यह साहित्यकार को भी नहीं पता। पर बताते हैं कि कुत्ता साहित्यकार की कई साहित्यिक सभाओं का साक्षी रहा था। उनने अब तक जितने भी साहित्यिक पुरस्कार पाए थे, उनमें कुत्ते का बड़ा योगदान था। कितनी ही कविताएं वह अपने कुत्ते की वफादारी पर लिख चुके थे। सुना है, कुत्ते पर उनका एक कविता संकलन भी छपा था।
लेकिन आज कुत्ता उनका साथ छोड़ गया। फेसबुक के उनके मित्र गमगीन हैं। कुत्ते को याद कर आंसू बहा रहे हैं। अभी कोरोना काल चल रहा है इस कारण शोक जतलाने साहित्यकार के घर नहीं जा सकते। पर तय किया है कि वे सभी कुत्ते की याद में एक 'फेसबुक लाइव' अवश्य करेंगे। शायद कुछ कविता पाठ भी हों।

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