शोधकर्ताओं ने बताया अब इस स्थति में और भी जानलेवा बन सकता कोरोनावायरस

अमेरिका स्थित इमोरी विश्वविद्यालय के दोंगहाइ लियांग ने कहा, "कम या लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से मानव शरीर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर पड़ सकता है, जैसे ऑक्सीडेटिव दबाव, सूजन और सांस की बीमारी का खतरा हो सकता है।

वायु प्रदूषण के प्रदूषकों (जिनकी वजह से प्रदूषण फैलता है) और कोरोना संक्रमण के फैलाव के बीच के संबंध का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने दो प्रमुख नतीजों- कोरोना मरीजों की मृत्यु और आबादी में कोरोना से होने वाली मौतों की दर का अध्ययन किया। दो संकेतक क्रमश: कोरोना से होने वाली मौतों के लिए जैविक संवेदनशीलता का संकेत दे सकते हैं और कोरोना से होने वाली मौतों की तीव्रता की जानकारी दे सकते हैं।
शोधकर्ताओं के एनालिसिस से पता चला है कि कोविड-19 से होने वाली मौतों से नाइट्रोजन ऑक्साइड का बहुत गहरा संबंध है। उन्होंने कहा कि हवा में नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (NO2) के 4.6 हिस्से प्रति अरब (ppb) के इजाफे से क्रमश: 11.3 प्रतिशत कोरोना मरीजों की मौत और और 16.2 प्रतिशत मृत्युदर बढ़ती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि हवा में महज 4.6 ppb NO2 घटा कर 14,672 कोविड-19 मरीजों की जान बचाई जा सकती है। शोधकर्ताओं ने पीएम-2.5 का कुछ असर कोविड-19 मरीजों की मौत पर देखा। कोविड-19 मरीजों की मौत से ओजोन का संबंध देखने को नहीं मिला है।

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