हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार को बहुत ही खास महत्व दिया जाता हैं वही नवरात्रि में प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के साथ देवी मां दुर्गा के ज्वारे भी बाऐ जाते हैं
मिट्टी के कलश में ज्वारे बोने की परंपरा तकरीबन हर जगह होती हैं नवरात्रि के समापन पर इन्हें प्रवाहित कर दिया जाता हैं इनके बढ़ने पर देवी मां भगवती की कृपा प्राप्त होती हैं तो आज हम आपको ज्वारे बोने के पीछे का मुख्य कारण बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि जहां ज्वारे तेजी से बढ़ते हैं ऐसे में घरों में देवी मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं और सुख समृद्धि आती हैं ज्वारों को सही मुहूर्त में माता रानी की चौकी के पास ही बोया जाता हैं वही शारदीय नवरात्रि में जौ इसलिए बोया जाता है क्योंकि सृष्टि की शुरुवात में जौ ही सबसे पहली फसल थी।
जौ उगने या न उगने को भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान के तौर पर देखा जाता हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि ज्वारे अच्छे से निकले हैं यानी हरे भरे हैं तो देवी मां की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी। वही अगर ज्वारे निकल नहीं रहे हैं तो आने वाले समय में आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं।
वही ज्वारे बोते वक्त इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी हैं कि इन्हें रोज पूजा के समय पानी दें। मिट्टी के कलश में ही ज्वारें बोएं। इस बात का ध्यान रखें कि ज्वारों को दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती हैं इस दिशा में न ही माता का कलश रखना चाहिए और न ही ज्वारे बोएं जाते हैं नौ दिनों में जहां ज्वारे बाऐ उन्हें उसी में ही स्थापित रहने दें। उन्हें निकाले नहीं।