postpartum depression:गर्भावस्था में बढ़ती यह मानसिक बीमारी, बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान

जयपुर।दूसरे मानव जीवन को जन्म देना एक महिला के जीवन के सबसे भारी अनुभवों में से एक हो सकता है।वहीं गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं में चिंता, आत्म-संदेह और अवसाद की स्थिति भी दिखाई देती है, जिससे गर्भावस्था के दौरान पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।यह बेहद घातक मानसिक बीमारी है, जो कि अवसाद को बढ़ाने में मद करती है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण— प्रसवोत्तर अवसाद एक ऐसी स्थिति है जो बच्चे के जन्म के दो या अधिक सप्ताह बाद ही दिखाई देने लगती है। इस हालत में, नई माँ हर समय थका हुआ या उदास महसूस करती है। वह बिना किसी कारण के रोने लगती है और उन चीजों में रुचि खो देती हैं, जो उसे खुशी देती थीं।पोस्टमार्टम डिप्रेशन के कारण सोने में परेशानी, उदासी की लगातार भावना, चिंता, चिड़चिड़ापन, सेक्स में रुचि की कमी, भूख के साथ-साथ मिजाज में कमी जैसे लक्षण दिखाई देते है।इसके अलावा कुछ महिलाओं को शारीरिक लक्षण जैसे सिरदर्द, पेट में दर्द और मांसपेशियों में दर्द की समस्या भी दिखाई देती है। बचाव— इस स्थिति से निपटने के लिए महिलाओं को अपनी भावनाओं के बारे में अपने साथी या किसी मित्र पर भरोसा करने की जरूरत है। उन्हें यह याद दिलाना चाहिए कि उनके बच्चे के साथ असंतुष्ट महसूस करना ठीक है। परिवार, दोस्तों और चिकित्सा देखभाल करने वालों को नवजात शिशु की देखभाल करने में माँ की मदद करनी चाहिए। प्रसवोत्तर अवसाद के किसी भी लक्षण जैसे उदास, अलग या अत्यंत चिड़चिड़ापन महसूस करने के लिए नज़र रखनी चाहिए और इसके बारे में डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है। अपने परिवार से नई माँ को आराम करने, बाहर जाने, अपनी पसंद का कुछ खाने या मदद मांगने के लिए शर्म नहीं करना चाहिए। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि अभी उनके हार्मोन असंतुलित हैं और उन्हें मदद की जरूरत है। परिवार को नई माँ के प्रति धैर्य, प्यार और खास देखभाल करना आवश्यक है।जिससे मानसिक तनाव ना बढ़े और डिप्रेशन का खतरा दूर रहें।

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