जयपुर।आज विश्व में कोरोना महामारी का संक्रमण लगात्तार बढ़ता जा रहा है।वहीं अभी तक कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किसी प्रकार की वैक्सीन नहीं बनाई जा सकीं है।कोरोना संक्रमण पर किए जा रहें शोध में बताया गया है कि शरीर की इम्यूनिटी के कमजोर होने से कोरोना संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। फेफड़ों पर कोरोना का घातक असर— कोरोना संक्रमण को लेकर किए गए अब तक के शोध में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण के कारण हमारे शरीर के कई अंग जैसे, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़े और पेट की कोशिकाएं प्रभावित होती है।लेकिन कोरोना संक्रमण का सबसे घातक असर हमारे फेफड़ों पर दिखाई देता है।इसलिए कोरोना संक्रमण के सामान्य लक्षण दिखाई देने पर घर में आइसोलेट रहकर इससे बचाव के करने के साथ समय-समय पर अपने ऑक्सीजन के स्तर की जांच करनी चाहिए। अगर ऑक्सीजन का स्तर 95 से अधिक है, तो परेशान होने की कोई बात नहीं है, लेकिन अगर यह 90 और 94 के बीच पहुंचता है, तो चिकित्सक से तुरंत संपर्क किया जाना चाहिए। कोरोना संक्रमण के कारण हमारे फेफड़े बुरी तरह से प्रभावित होते है और ऑक्सीजन का स्तर नीचे जाने से खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।ऐसे में अस्पताल में भर्ती होने की भी आवश्यकता हो सकती है। होम आइसोलेशन के दिशा निर्देश— होम आइसोलेशन की गाइड लाइन में एक स्पष्ट निर्देश है कि कोरोना करने वाले और देखभाल करने वाले नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की निगरानी करेंगे और किसी भी बदलाव को महसूस करने पर डॉक्टर को सूचित करेंगे। यह भी निर्देश देता है कि यदि शरीर में ऑक्सीजन की संतृप्ति 95 प्रतिशत से कम है या यदि सांस लेने में कठिनाई है, तो तुरंत डॉक्टर से अपनी जांच करवाएं। इसके अलावा लगातार सीने में दर्द और भारीपन की स्थिति में, मानसिक भ्रम या सतर्कता में असमर्थता,बोलने में कठिनाई होने पर खुद को आइसोलेट करना आवश्यक है। कोरोना से बचने के लिए देखभाल करने वालों के लिए हाथ की सफाई और मास्क बहुत जरूरी है—साफ सफाई या किसी वस्तु के संपर्क में आने के बाद हाथ साफ करना। हाथ धोने के लिए, कम से कम 40 सेकंड के लिए साबुन-पानी का उपयोग करें या एल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें और मुंह को अच्छी तरह से ढ़ककर रखें।