इसके अलावा कम तनख्वाह, अनपढ़ या अपेक्षाकृत कम-पढ़े लिखे लोगों को भी कोरोना का रिस्क ज्यादा है। इस रिसर्च के अनुसार, ऐसे देश जहां लोगों की सैलरी कम या बस औसत है वहां, कोविड-19 संक्रमण से लोगों की मृत्यु का रिस्क भी ज़्यादा है। इन दावों का आधार स्वीडन में कोविड-19 की वजह से होने वाली मृत्यु से जुड़ा वह डेटा भी है जो स्वीडिश नेशनल बोर्ड ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर ने उपलब्ध कराया है। गौरतलब है कि अब तक वैज्ञानिकों का यही मत रहा है कि अविवाहित लोगों में कुछ बीमारियों का खतरा ज़्यादा रहा है और वही उनकी मौत का कारण बनती है। लेकिन, कोविड-19 से जुड़े इस तरह के दावे अब किए जा रहे हैं।
इस स्टडी के लिए 20 साल से अधिक की उम्र के लोगों को शामिल किया है। स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों को कई ऐसे तथ्य मिले जो चौंकाने वाले थे। इस स्टडी के परिणामों को जर्नल नेचर कम्युनिकेशन्स में छापा भी गया। रिसर्च के लेखकों ने रिसर्च के दौरान पाया कि कुंवारे या अनमैरिड महिलाओं और पुरुषों में कोविड-19 की वजह से मृत्यु का रिस्क डेढ़ गुना ज़्यादा था। वहीं, विधवा और तलाकशुदा लोगों में भी यह रिस्क समान स्तर पर बना रहा। महिलाओं की तुलना में अविवाहित पुरुषों को कोविड-19 के चलते मृत्यु का खतरा दो से ढ़ाई गुना ज़्यादा था।