हाथरस मामला: पीड़ित परिवार के इंसाफ़ के लिए देश-विदेश में हुए विरोध-प्रदर्शन

अलग-अलग क्षेत्रों के करीब 10,000 लोगों ने हाथरस के कथित रेप मामले को लेकर देश के लगभग सभी राज्यों में विरोध प्रदर्शन किया है. देश के अलावा विदेशों में भी ये विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, हॉन्गकॉन्ग, जापान, नेपाल, नीदरलैंड, स्वीडन और स्लोवेनिया जैसे देशों में ये विरोध-प्रदर्शन हुए हैं.
लोगों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान मृत दलित युवती के लिए इंसाफ की मांग की.
अपने बयान में इन कार्यकर्ताओं ने इस बर्बर घटना की निंदा की.
बयान में कहा गया है कि यौन हिंसा और हत्याओं की लगातार दूसरी घटनाओं खास तौर पर दलित महिलाओं के साथ होने वाली इन घटनाओं के बावजूद देश के लोगों की चेतना इतनी नहीं प्रभावित हुई है कि औरतों के ख़िलाफ़ होने वाली इस हिंसा पर लगाम लगाने के गंभीर प्रयास किए जाए.
चंद्रशेखर आज़ाद की मांग, पीड़ित परिवार को 'वाई' स्तर की सुरक्षा मिले
भीम आर्मी चीफ़ चंद्रशेखर आज़ाद हाथरस में पीड़ित परिवार से मिले हैं.
उन्होंने पीड़ित परिवार से मिलने के बाद उनके लिए सुरक्षा की मांग की है.
उन्होंने कहा है कि परिवार गांव में सुरक्षित नहीं है.
उन्होंने कहा है कि, "मैं परिवार के लिए 'वाई' स्तर की सुरक्षा की मांग करता हूँ या फिर मैं परिवार को अपने घर ले जाऊंगा. वो यहां सुरक्षित नहीं है. हम सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच चाहते हैं."
हालांकि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने हाथरस की घटना की सीबीआई से जांच कराने का फ़ैसला किया है.
मृत युवती के पिता बीमार, मेडिकल निगरानी में
मृत युवती के पिता बीमार पड़ गए हैं. एसआईटी उनके घर पूछताछ पहुँचने के लिए पहुँची थी.
इसके बाद एसआईटी ने फौरन मेडिकल टीम को बुलाने का अनुरोध किया.
हाथरस के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि एसआईटी ने मृतका के पिता के बीमार पड़ने पर कॉल किया था.
उन्होंने बताया कि, "उनका (मृतका के पिता) रक्त चाप सामान्य है और दूसरे जरूरी टेस्ट भी करवाए गए हैं लेकिन उनकी कोरोना की जांच नहीं करवाई गई है."
हाथरस के एसपी विनीत जायसवाल ने रविवार की सुबह अपराध स्थल का दौरा किया है.
पीड़िता के गांव में अभियुक्तों के समर्थन में उतरे सवर्ण संगठन
हाथरस में मौजूद पत्रकार चिंकी सिन्हा ने बताया कि भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आज़ाद के पीड़ित परिवार के गांव जाने की ख़बर के बाद अब करणी सेना ने अपनी एक टीम सच्चाई पता करने के लिए वहां भेजी है.
करणी सेना के सुभाष सिंह का कहना है कि वो गांव में इसलिए मौजूद हैं क्योंकि चंद्रशेखर वहाँ पहुँच रहे हैं.
वो कहते हैं, "हमें सुशांत सिंह राजपूत के मामले में न्याय मिला क्योंकि मीडिया ने मदद की. अब हम यहाँ देखेंगे कि सच्चाई क्या है."
दूसरी तरफ सवर्ण समाज के कुछ संगठन गांव में अभियुक्तों के समर्थन में भी बैठे हुए हैं.
सवर्ण समाज के लोगों ने अभियुक्तों पर लगे आरोपों को झूठा करार दिया है और इसे निराधार बताया है.
चंद्रशेखर आज़ाद को जाने की अनुमति मिली
मृत युवती के गांव में भारी तनाव का माहौल है. वहां मौजूद बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा ने बताया कि रालोद के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज भी हुआ है हालांकि रालोद नेता जयंत चौधरी ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की है.
उन्होंने कहा कि अगर यह कहा जा रहा है कि राजनीति की जा रही है तब मैं कहूँगा कि राजनीति होनी चाहिए क्योंकि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध का आंकड़ा काफी बढ़ चुका है तो इसलिए इस पर राजनीति हो रही है तो यह सही हो रही है.
कुछ सवर्ण संगठनों ने भी यहाँ पर अभियुक्तों के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन किया है और भीम आर्मी के ख़िलाफ़ नारेबाजी की है.
उनका कहना है कि इस मामले की सीबीआई जांच हो. उनका दावा है कि गिरफ्तार किए गए लड़के निर्दोष हैं. सीबीआई जांच में यह स्पष्ट हो जाएगा.
दूसरी ओर, भीम आर्मी के चीफ़ चंद्रशेखर ने पैदल ही गांव की ओर बढ़ना शुरू कर दिया था क्योंकि 20-25 किलोमीटर पहले ही उनकी गाड़ियों को रोक दिया गया था.
लेकिन अब कुछ दूर पैदल चलने के बाद उन्हें दस लोगों के साथ यहाँ पहुँचने की अनुमति मिल गई है. पुलिस बल बड़े पैमाने पर गांव में तैनात है और तनाव बढ़ने की आशंका बनी हुई है.
बिना कुछ खाए इंसाफ़ की आस में बैठा पीड़ित परिवार
हाथरस में मौजूद बीबीसी की सहयोगी पत्रकार चिंकी सिन्हा ने बताया कि पीड़ित परिवार के घर में शनिवार से ही खाना नहीं बना है.
मृतका की भाभी ने कल भी गूंथा हुआ आटा फेंक भी दिया था.
वहाँ पर इतने लोग जमा हो गए हैं कि परिवार के लोगों के लिए खाना तक बनाना मुश्किल हो गया है.
मृत युवती की भाभी आज भी रसोई में आटा गूंथने के लिए आई हैं.
रालोद के जयंत चौधरी पहुँचे हुए हैं और वो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को बाइट देने में लगे हुए हैं.
पूरा दिन कल वो सिर्फ बिस्किट खाकर रहीं और एक बजे रात में उन्होंने थोड़ा सा खाना खाया.
आज सुबह से मीडिया के लोग आने शुरू हो गए थे. तब से वो बिना कुछ खाए इंसाफ़ और उम्मीद की आस लगाए बैठी हैं.
प्रियंका गांधी ने डीएम को हटाने की मांग की
हाथरस में पीड़ित परिवार से मिलने के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने हाथरस के जिलाधिकारी को हटाने और पूरे प्रकरण में उनकी भूमिका की जांच कराने की मांग की है.
प्रियंका गांधी ने कहा कि परिवार ने उन्हें बताया है कि हाथरस के जिलाधिकारी ने उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया है. उन्होंने इसके साथ ही यह भी सवाल खड़ा किया है कि कौन इस अधिकारी को बचा रहा है.
प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा है, "हाथरस के पीड़ित परिवार के अनुसार सबसे बुरा बर्ताव डीएम का था. उन्हें कौन बचा रहा है? उन्हें अविलंब बर्खास्त कर पूरे मामले में उनके रोल की जाँच हो. परिवार न्यायिक जांच माँग रहा है तब क्यों सीबीआई जांच का हल्ला करके SIT की जांच जारी है. यूपी सरकार यदि जरा भी नींद से जागी है तो उसे परिवार की बात सुननी चाहिए."
वहीं विशेष जांच दल (एसआईटी) के अनुरोध पर एक मेडिकल टीम मृत युवती के पिता के स्वास्थ्य की हालत बिगड़ने पर उन्हें देखने पहुँची है.
दूसरी तरफ़, हाथरस की घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का आना जारी है.
डीएमके नेता और सांसद कनिमोझी ने भी उत्तर प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा है कि यूपी सरकार वहाँ (हाथरस में) जो हुआ उसे छिपाने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा, "पुलिस की ओर से किए गए अंतिम संस्कार और पत्रकारों पर हुए हमले की कड़ी निंदा करती हूं. इसके अलावा जो नेता वहाँ जा रहे हैं, उनके ऊपर भी हमला किया जा रहा है."
न्यायिक जाँच पर अड़ा पीड़ित परिवार
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद हाथरस मामले में लगातार उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
उन्होंने शनिवार को ट्वीट किया था कि उन्हें शक है कि सरकार पीड़ित परिवार को ही दोषी बना देगी.
इस मामले को लेकर वे लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं.
इससे पहले दो अटूक्बर को उन्होंने और उनकी आज़ाद समाज पार्टी के लोगों नें दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन भी किया था.
इधर, पीड़ित परिवार घटना की न्यायिक जाँच पर अड़ा हुआ है.
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार समीरात्मज मिश्र ने बताया कि शनिवार को परिजनों से मिलने गए राज्य के अपर मुख्य सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक के साथ बातचीत में परिजनों ने कई सवाल उनके सामने रखे और इस बात पर भी ऐतराज़ जताया कि उन्हें झूठा साबित करने की कोशिशें की जा रही हैं.
हालाँकि राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफ़ारिश कर दी है. इस बीच राजनीतिक दलों का पीड़ित परिवार से मिलने का सिलसिला जारी है.
पीड़ित परिजनों से मिलने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी पहुंचे थे. इससे पहले, इन दोनों नेताओं को पीड़ित लड़की के परिजनों से मिलने नहीं दिया गया था.
अमित मालवीय ने शेयर की वीडियो, हो सकती है कार्रवाई
बीजेपी के आईटी हेड अमित मालवीय पिछले कुछ दिन से हाथरस मामले पर ट्वीट कर रहे हैं लेकिन एक ट्वीट को लेकर उन पर क़ानूनी कार्रवाई हो सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा है कि वह बीजेपी के आईटी हेड अमित मालवीय के ट्वीट का संज्ञान लेगी जिस ट्वीट में दावा किया जा रहा है कि वो हाथरस की लड़की का बयान है.
इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए अमित मालवीय ने लिखा कि हाथरस की पीड़िता अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बाहर एक रिपोर्टर को बता रही है कि उसका गला घोंटने की कोशिश हुई.
इस वीडियो में मृतक युवती का चेहरा साफ़ नज़र आ रहा है. भारतीय क़ानून के अनुसार यौन हिंसा के मामलों में पीड़िता की पहचान ज़ाहिर नहीं की जा सकती. यहाँ तक कि यौन हिंसा या बलात्कार का शक़ होने पर भी पीड़िता की पहचान ज़ाहिर नहीं की जा सकती है.
उन्होंने लिखा कि इसका मतलब ये नहीं कि अपराध को कम आंका जा रहा है लेकिन एक गंभीर अपराध को दूसरे किसी गंभीर अपराध का रंग देना उचित नहीं. अमित मालवीय ने दो अक्तूबर को ये वीडियो ट्वीट किया था और इसमें लड़की का चेहरा साफ़ नज़र आ रहा है.
क्या है इस अपराध की सज़ा?
अमित मालवीय के यह वीडियो शेयर करने के बाद इस पर विवाद होने लगा लेकिन विरोध के बावजूद उन्होंने ख़बर लिखे जान तक इसे डिलीट नहीं किया था.
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि 'अगर वो बलात्कार पीड़िता है तो उसका वीडियो ट्वीट करना दुर्भाग्यपूर्ण और ग़ैर-क़ानूनी है.'
उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम ने भी कहा कि उन्होंने वीडियो देखा नहीं है लेकिन अगर इसमें महिला की पहचान उजागर हो रही है तो ये आपत्तिजनक है और आयोग इसका संज्ञान लेकर मालवीय को नोटिस भेजेगा.
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के मुताबिक़ अगर कोई किसी यौन हिंसा के पीड़िता या संभावित पीड़िता की पहचान उजागर करता है तो उसे दो साल तक की जेल हो सकती है.
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी ये स्पष्ट किया था कि आईपीसी के सेक्शन 228A(2) का मतलब सिर्फ पीड़िता का नाम उजागर करना नहीं बल्कि मीडिया में छपी किसी भी जानकारी से उसकी पहचान नहीं उजागर होनी चाहिए.
कोर्ट ने ये भी कहा कि पीड़िता की मौत के बावजूद भी उसकी पहचान उजागर नहीं की जा सकती, चाहे उसके परिवार ने ही इसकी इजाज़त दी हो.
लगातार ऐसे ट्वीट कर रहे हैं अमित मालवीय
इधर, अमित मालवीय अपने ट्वीट्स के ज़रिए ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि ये यौन हिंसा का मामला है ही नहीं.
हाथरस की घटना को लेकर अमित मालवीय ने और भी कई ट्वीट किए हैं.
एक ट्वीट में उन्होंने इशारा किया है कि 19 सितंबर को कांग्रेस नेता श्यौराज जीवन के मिलने के बाद फिर 22 सितंबर को गैंगरेप का आरोप जुड़ा.
उन्होंने दो अटूक्बर को एक और वीडियो ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा कि ये लड़की की माँ का घटना के तत्काल बाद का बयान है.
इस वीडियो में महिला एक ही अभियुक्त संदीप का नाम ले रही हैं और पीड़ित लड़की ज़मीन पर लेटी रो रही है. इस वीडियो में भी माँ का चेहरा साफ़ नज़र आ रहा है.
अमित मालवीय अपने इन सभी ट्वीट के ज़रिए ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि 'उत्तर प्रदेश को बदनाम करने की साज़िश' रची गई है.
बीजेपी विधायक का आपत्तिजनक बयान
हाथरस की ही घटना को लेकर बीजेपी के एक विधायक का आपत्तिजनक बयान सामने आया है. समाचार एजेंसी एएनआई ने इस बयान का वीडियो शेयर किया है.
वीडियो में विधायक हाथरस की घटना को लेकर कह रहे हैं, ''इस तरह की घटनाओं को संस्कार से ही रोका जा सकता है, ये शासन और तलवार से नहीं रूक सकती. मां-बाप को अपनी जवान बेटियों को संस्कारित वातावरण में रहने, चलने और शालीन व्यवहार प्रस्तुत करने का तरीका सिखाना चाहिए. सरकार का भी धर्म है और परिवार का भी धर्म है.''
बीजेपी विधायक के इस बयान की भी जमकर आलोचना हो रही है.
हाथरस मामले में शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई जांच करवाने की सिफ़ारिश की है. हालाँकि एएनआई न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़ एसआईटी के सदस्यों का कहना है कि वे भी अपनी जांच जारी रखेंगे. रविवार को सुबह एसआईटी की टीम परिवार के लोगों का बयान दर्ज करने भी पहुंची.
शनिवार को उत्तर प्रदेश के आला अधिकारी भी हाथरस पहुंचे. गृह सचिव अवनीश अवस्थी और डीजीपी एचसी अवस्थी हाथरस के पीड़ित परिवार से मिले. बाद में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी परिवार से मिले.
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source: bbc.com/hindi

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