माता-पिता की कुछ आदतें ऐसी होती हैं, जो वह अपने बच्चों को सुधारने और कुछ सिखाने-पढ़ाने के अलावा नियंत्रण में रखने के उद्देश्य से करते हैं, लेकिन मनोवैज्ञानिकों का मानना है, कि उनकी इन बातों का बच्चो पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
वह अच्छा इंसान बनने के स्थान बुरा व्यक्ति बनने की ओर अग्रसर हो जाते हैं. किसी भी बच्चे का अच्छा या बुरा बनना पूरी तरह से उनको दी गई परवरिश पर निर्भर करता है.
दूसरे बच्चों से तुलना करना
बच्चे हो या फिर बड़े किसी को भी अपनी दूसरे व्यक्ति से तुलना करना अच्छा नहीं लगता है. जब कोई किसी से आपकी तुलना करता है तो आप ओरिजनल व्यक्तित्व पर सवाल उठा रहे हैं. इस तरह आप बच्चो को उनके स्वयं के बारे में नकारात्मक बना रहे होते हैं.
अपनी इच्छाएं बच्चों पर थोपना :-
कई माता-पिता अपने जीवन में जो नहीं कर पाते है, वह अपने बच्चों से करवाना चाहते हैं, लेकिन वह भूल जाते है की बच्चे का भी अपना एक स्वतंत्र व्यक्तित्व है उसे भी अपनी पसंद-नापसंद करने का अधिकार है. इसलिए कभी भी अपने बच्चो पर अपनी इच्छाए नहीं थोपना चाहिए.
बच्चों की आलोचना करना :-
माता-पिता जाने-अनजाने केवल अपने बच्चों की आलोचना ही करते रहते हैं. घर के अलावा वह मेहमानों व पड़ोसियों के सामने भी अपने बच्चे की गलत आदतों का पिटारा खोलते है. कई बार बाहरी लोगों के सामने बच्चो को डांटने लगते हैं. इस तरह की हरकतों से बच्चो के दिलो-दिमाग पर बहुत बुरा असर पड़ता है.
बच्चों को मारना-पीटना :-
माता-पिता को अपनी इस सोच को बदल लेना चाहिए कि बच्चा किसी बात जु जिद कर रहा है, पढ़ाई नहीं कर रहा है, तो आप मार-पीटकर अपनी मनमर्जी का काम उससे करवायेगे. यदि आप ऐसा करते है तो आपका बच्चा कुछ सीखेगा नहीं, बल्कि आपकी गैरमौजूदगी में उससे भी कुछ गलत काम कर सकता है.