आज यानी 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी की भी जयंती हैं लाल बहादुर शास्त्री की सादगी। अपने आप में एक मिसाल है और इसी सादगी और देशभक्ति के बल पर वह देश के प्रधानमंत्री बने। ईमानदारी और स्वाभिमानी छवि के चलते आज भी उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता हैं।
1965 में पाकिस्तान से युद्ध के बाद देश में सूखा पड़ा तो इन विषम परिस्थितियों से उबरने के लिए शास्त्री जी ने देशवासियों से एक दिन का व्रत रखने का अनुरोध किया। जय जवान जय किसान का नारा दिया। शास्त्री उनकी उपाधि थी। जो उन्हें काशी विद्यापीठ से पढ़ाई के बाद मिली थी।
शास्त्री जी ने महिलाओं को रोज़गार देने की दिशा में सबसे पहले काम किया। उन्होंने महिलाओं को ट्रांसपोर्ट सेक्टर से जोड़ा और महिलाओं को बतौर कंडक्टर लाने की पहल की। प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए लाठीचार्ज की जगह उन पर पानी की बौछार करने का सुझाव दिया जो आज भी अमल में लाया जाता हैं लाल बहादुर शास्त्री 19 महीने तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।
इन 19 महीनों में उन्होंने दुनिया को भारत की शक्ति का अहसास कराया। एक बार लाल बहादुर शास्त्री जेल में थे तो उन्होंने अपनी मां को खत लिखा। खत में उन्होंने पूछा कि क्या उन्हें लोक सेवक संस्था से पैसे समय पर मिल रहे हैं। मां ने जवाब दिया कि उन्हें पचास रुपये मिलते हैं जिसमें से करीब 40 रुपये खर्च हो जाते हैं और बाकी के बचा लेती हैं
शास्त्री जी ने संस्था को पत्र लिखा और कहा कि अगली बार से उन्हें परिवार को 40 रुपये ही भेजे जाएं और बचे हुए पैसों से किसी जरूरतमंद की मदद कर दी जाए। शास्त्री जी के इरादे और काम करने का तरीका फौलादी था। एक बार जब उनके बेटे को गलत तरह से प्रमोशन दे दिया गया तो लाल बहादुर शास्त्री जी ने खुद उस प्रमोशन को रद करा दिया।