मधेपुरा। जिले में कफ सिरप के कारोबार का मुख्य सेंटर सिंहेश्वर बना हुआ था। पुलिस भी इससे अंजान नहीं थी। इसके बावजूद पुलिस के नाक के नीचे इस धंधा के फलने फूलने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। कहीं न कहीं पुलिस का संरक्षण अब तक इस कारोबारियों को मिलते रहा है।
आखिर कफ सिरप के कारोबारियों की इतनी हिम्मत कैसी हुई कि वो इतने बड़े कंटेनर को यहां तक मंगवा लिया। यही नहीं उसे रामपट्टी गांव में दिन दहाड़े अनलोड किया जाने लगा। शराबबंदी के बाद कफ सिरप का अवैध कारोबार खूब तेजी से फला फुला है। सिंहेश्वर में मेला ग्राउंड से लेकर मुक्ति धाम जैसे खाली जगहों पर सैकड़ों की तादाद में मिली खाली बोतलें इसकी गवाह दे रहा है। पुलिस के आलाधिकारी भी इससे अंजान नहीं थे। महाशिवरात्रि मेले व महोत्सव को लेकर फरवरी में डीआरडीए सभागार में हुई बैठक में तत्कालीन एसडीपीओ वसी अहमद ने सिंहेश्वर मेले में कफ सिरप के अवैध कारोबार की चर्चा की थी। इसके लिए उन्होंने ड्रग इंस्पेक्टर की प्रतिनियुक्ति मेले के दौरान करने एवं विशेष निगरानी की बात कही थी। क्या अब तक था पुलिस का संरक्षण आमलोगों के बीच यह चर्चा है कि अब तक इस अवैध कारोबार को पुलिस का संरक्षण प्राप्त था। इस वजह से कई तरह की शिकायत के बावजूद पुलिस आंख और कान बंद किए हुए रही। लेकिन नए एसपी के आते ही संरक्षण पर ब्रेक लग गया। नवपदस्थापित एसपी योगेंद्र कुमार के आने के महज कुछ दिन बाद ही पुलिस को यह सफलता मिली। इससे स्पष्ट है कि कफ सिरप के अवैध कारोबारियों की दाल अब नहीं गलने वाली। एसपी ने तो इस मामले में पूरे संगठित गिरोह तक पहुंचने की बात कही है।
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सही से जांच हो तो बेनकाब होंगे सफेदपोश पुलिस जब्त कफ सिरप मामले में नामजद आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ करें तो कई सफेदपोश चेहरे बेनकाब होंगे। अब भी कई ऐसे नाम है जो सामने नहीं आ पाया है। एफआइआर में नामजद किए गए तरुण सिंह व सुमन कुमार इससे पूर्व नवंबर में मधेपुरा सदर थाना क्षेत्र में कफ सिरप के मामले में गिरफ्तार हो चुका है।
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