मधेपुरा। दलों की सीट शेयरिग अभी फाइनल भी नहीं हुआ है, लेकिन टिकट के दावेदार नेता एक पखवारे से पटना में जमे हुए हैं।
जिले के चार विधानसभा सीट में फिलहाल सबसे ज्यादा उम्मीदवार राजद के हैं। एक सीटिग सीट रहने व सभी चार पर चुनाव लड़ने की संभावना के कारण दावेदार ज्यादा है। जदयू की सीटिग ज्यादा हैं। चार में से तीन सीटिग ही है। भाजपा एक भी सीट पर नहीं है, लेकिन दो सीटों पर स्थानीय नेताओं का चुनाव लड़ने का दावा है। फिलहाल पटना में टिके टिकट के दावेदारों की सांस अटकी हुई है। सभी अपने अपने आका के पास चक्कर लगा रहे हैं। अपने अपने दलों एवं आकाओं के हिसाब से लोग जा रहे हैं। पटना के अलावा रांची व दिल्ली भी टिकट के दावेदारों की दौड़ लगाई जा रही है। टिकट कंफर्म नहीं होने तक कोई भी दावेदार पटना छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
दरबार में भी हाजिरी लगा रहे दावेदार राजद के जिले में अभी सिर्फ एक मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र पर कब्जा है। राजद के जिले के चारों सीटों पर चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। इसीलिए सर्वाधिक दावेदार राजद के ही हैं। राजद से टिकट लेने वाले दावेदारों को पटना के अलावा रांची भी दौर लगानी पड़ रही है। सभी जानते है कि बिना वहां के इशारे किसी का टिकट फाइनल नहीं हो सकता है। वहीं पटना में पूर्व सीएम राबड़ी देवी व पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के पास सर्वाधिक टिकटार्थी पहुंच रहे हैं। पटना जाकर इनसे मिलकर टिकट की रेस फाइनल कर लेना चाहते हैं। टिकटार्थी जानते हैं कि बिना इनके हरी झंडी के टिकट मिलना संभव नहीं है। पटना में फिलहाल गठबंधन की स्थिति स्पष्ट नहीं होने से दावेदारों को अभी कोई आश्वासन भी नहीं मिल पा रहा है। भाजपा के जिले में अभी एक भी सीटिग विधायक नहीं है। इसके बावजूद मधेपुरा व बिहारीगंज क्षेत्र से काफी संभावित उम्मीदवार वहां पहुंचे हुए हैं। इसकी भी वजह है। 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू से अलग होकर चुनाव मैदान में उतरी भाजपा मधेपुरा व बिहारीगंज से चुनाव लड़ी थी। आलमनगर लोजपा व सिंहेश्वर हम पार्टी के खाते में दी गई थी। इसीलिए इस बार मधेपुरा व बिहारीगंज से जिला इकाई का चुनाव लड़ने का दवाब है। इसी अनुसार दावेदार पटना व दिल्ली जाकर दावेदारी भी कर रहे हैं।
जिले में जदयू के अभी तीन सीटिग विधायक हैं। इसमे से दो अभी राज्य सरकार में मंत्री हैं। इसके बावजूद टिकट के दावेदार कम नहीं है। सिटिग क्षेत्र से भी काफी संख्या में टिकट के दावेदार पटना दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। यद्यपि राजद व भाजपा प्रत्याशियों की अपेक्षा जदयू प्रत्याशी को दो जगहों का चक्कर नहीं लगाना पड़ रहा है। उन्हें सिर्फ पटना में ही दौड़ लगाना पड़ रहा है। जदयू के टिकटार्थियों का फैसला लेने वाले आलाकमान जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ही हैं। जो लगातार पटना में ही हैं।
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