कोरोना संकट के बीच दो बीमारियों Congo fever और Cat Que Virus का खतरा, जानें लक्षण और बचने के उपाय

कोरोना वायरस संकट के बीच दो खतरनाक बीमारियों का पता चला है। इसमें एक खतरनाक चीनी वायरस है जिसे 'कैट क्यू वायरस' (Cat Que Virus) कहा जा रहा है और दूसरा कांगो बुखार (Congo Fever) है, जो महाराष्ट्र में पाया गया है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिकों ने 'कैट क्यू वायरस' का पता लगाया है। बताया जा रहा है कि फिलहाल यह वायरस चीन में पाया गया है। आईसीएमआर द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, यह वायरस इतना खतरनाक है कि इससे पूरे भारत में बीमारियां फैल सकती हैं।
इधर महाराष्ट्र के पालघर जिले में अधिकारियों को कांगो बुखार (Congo Fever) के संभावित प्रसार को लेकर सतर्क रहने का निर्देश दिया गया है। इसे क्राइमियन कांगो हेमोरेजिक फीवर (सीसीएफएफ) (Crimean Congo Hemorrhagic Fever (CCHF) का कांगो बुखार भी कहा जाता है। यह टिक (किलनी) के जरिये मनुष्य में फैलता है।
कैट क्यू वायरस क्या है?
यह वायरस आर्थ्रोपोड-जनित वायरस की श्रेणी में आता है। ये क्यूलेक्स नाम के मच्छरों के अलावा सूअर में भी पाया जाता है। CQV मनुष्यों में ज्वर की बीमारी, मेनिन्जाइटिस और पेडियेट्रिक इन्सेफेलाइटिस का कारण बन सकता है।
कितना है खतरा?
इस वायरस का संक्रमण फैला तो बड़ी संख्या में स्वास्थ्य संकट खड़ा हो जाएगा। वायरस हमारे देश में दस्तक दे चुका है या नहीं, इसके लिए बड़े स्तर पर जांच करने की योजना बनाई जा रही है। ICMR अध्ययन से पता चला है कि भारत में अलग-अलग नस्लों के मच्छर में CQV की चपेट में आ सकते हैं जिससे ये वायरस फ़ैल सकता है।
कैसे फैलता है ये वायरस?
वैज्ञानिकों ने कहा है कि नए वायरस का पहला होस्ट सुअर है। इसके खून के माध्यम से ये मच्छरों तक और फिर इंसानों तक फैलता है। खतरे की बात ये है कि भारत में जो मच्छर पाए जाते हैं, वे इस वायरस को कैरी कर सकते हैं। इसलिए अगर ये एक बार मच्छरों के माध्यम से फैलने लगा तो वायरस के फैलाव को रोक पाना बेहद मुश्किल होगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे में सीक्यूवी के लिए मॉलिक्यूलर और सेरोलॉजिकल जांच विकसित करने की जरूरत है। साथ ही लोगों के अलावा सूअरों की भी स्क्रीनिंग करने और मच्छरों में इसके रेप्लिकेशन की जांच की जरुरत महसूस की जा रही है। ऐसा इसलिए कि संकट गंभीर होने से पहले ही जरूरी तैयारियां की जा सके।
कांगो बुखार क्या है और यह कैसे फैलता है (What is Congo fever and how it spreads)
कांगो बुखार को क्रीमियन कांगो हेमोरेजिक फीवर के रूप में जाना जाता है। यह मनुष्यों में टिक (एक प्रकार का कीड़ा) के जरिये फैलता है। समय पर इलाज नहीं होता है तो 30 प्रतिशत रोगियों की मौत हो जाती है। पीड़ित पशुओं अथवा मनुष्यों के इलाज के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
समय पर इलाज नहीं होने पर मौत का खतरा 30%
परिपत्र में कहा गया है, ''यदि समय पर रोग का पता नहीं चलता और समय पर इलाज नहीं होता है तो 30 प्रतिशत रोगियों की मौत हो जाती है।'' परिपत्र के अनुसार इस रोग से पीड़ित पशुओं अथवा मनुष्यों के इलाज के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है।

कितना घातक है कांगो बुखार?
कांगो बुखार एक खतरनाक बीमारी है, जो बनिएवेरिडा फैमिली के टिक-बोर्न वायरस (नैरोवायरस) से होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, इस्सकी घातक दर 10 से 40 प्रतिशत है और यह वायरस गंभीर वायरल रक्तस्रावी बुखार के प्रकोप का कारण बनता है।
कांगो बुखार का इलाज (Treatment of Congo fever)
बताया जाता है कि इस बीमारी के खिलाफ लोगों या जानवरों के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। यह इंसान से इंसान के संपर्क में आने से फैलता है। यह संक्रमित व्यक्ति के रक्त, स्राव, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, चिकित्सा उपकरणों और सुइयों के पुन: उपयोग के कारण भी संक्रमण फैल सकता है।
कांगो बुखार से बचने के उपाय (Prevention and precaution tips for Congo fever)
विभाग ने अधिकारियों को सभी आवश्यक सावधानी बरतने और निवारक उपायों को लागू करने का निर्देश दिया है। सर्कुलर में कहा गया है कि 'यह वायरल बीमारी एक विशेष प्रकार की टिक द्वारा एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलती है। संक्रमित जानवरों के खून के संपर्क में आने और संक्रमित जानवरों के मांस खाने से यह बीमारी इंसानों में फैलती है। इसलिए आपको संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।

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