जो अमेरिकन अंग्रेजी नहीं बोलते उनमें कोरोना होने का खतरा 5 गुना ज्यादा

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कोरोना व भाषा के बीच कनेक्शन ढूंढा है. इनकी रिसर्च कहती है, जो अमेरिकन अंग्रेजी नहीं बोलते उन्हें कोरोना होने के खतरा ज्यादा है. अमेरिका के ऐसे लोग जिनकी पहली भाषा स्पेनिश, कम्बोडियन है, उनमें कोरोना का संक्रमण होने के का खतरा 5 गुना ज्यादा है.

यह दावा यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन ने अपनी रिसर्च में किया है. रिसर्च के लिए 300 मोबाइल क्लीनिक व 3 हॉस्पिटल्स में आए कोरोना मरीजों की जाँच के आंकड़े जुटाए गए.
किस भाषा में कितने मरीज मिले, ऐसे समझें
ब्रिटेन की रिसर्च : यहां अश्वेत-अल्पसंख्यकों अधिक संक्रमित हुए मई में नेशनल हेल्थ सर्विसेज (एनएचएस) के अस्पतालों के आंकड़े कहते हैं, ब्रिटेन में कोरोनावायरस का संक्रमण व मृत्यु का सबसे ज्यादा खतरा अश्वेत, एशियाई व अल्पसंख्यकों को. संक्रमण के जो मुद्दे सामने आए उसमें यह ट्रेंड देखने को मिला. अस्पतालों से जारी आंकड़ों के मुताबिक, गोरों के मुकाबले अश्वेतों में संक्रमण के बाद मृत्यु का आंकड़ा दोगुना है. अश्वेत, एशियाई व अल्पसंख्यकों को यहां बेम (BAME) कहते हैं जिसका मतलब है- ब्लैक, एशियन एंड माइनॉरिटी एथनिक.
एक हजार लोगों पर 23 ब्रिटिश व 43 अश्वेत लोगों की मौत 'द टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनएचएस के अस्पतालों ने जो आंकड़ा जारी किया है उसके मुताबिक, 1 हजार लोगों पर 23 ब्रिटिश, 27 एशियन व 43 अश्वेत लोगों की मृत्यु हुई. एक हजार लोगों पर 69 मौतों के साथ सबसे ज्यादा खतरा कैरेबियाई लोगों को था, वहीं सबसे कम खतरा बांग्लादेशियों (22) को.

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