Covid-19: औनलाइन पढ़ाई से बच्चों की आंखें हो रहीं बेकार

कोरोना काल में मोबाइल, कम्प्यूटर व लैपटॉप पर औनलाइन पढ़ाई या टीवी देखने की लत बच्चों को मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) रोग की गिरफ्त में ले रही है. स्क्रीन पर आंखों की पलकें नहीं झपकती हैं. इसकी वजह से बच्चों की आंख में चुभन, दर्द, जलन व आंख सूखने की दिक्कतें आ रही हैं.

काफी देर बाद स्क्रीन से आंख हटाने पर दूर की चीजें देखने में तनाव व थकान महसूस होती है. चीजें साफ दिखाई भी नहीं देती है. इस रोग से करीब 10% बच्चे प्रभावित हैं. यह बोलना है पीजीआई की नेत्र रोग जानकार डाक्टर कुमुदिनी शर्मा का.
डाक्टर कुमुदिनी बताती हैं कि पीजीआई की ई-ओपीडी में प्रतिदिन 4 से 5 परिजन बच्चों की आंखों की समस्याओं के सम्बंध में कॉल कर परामर्श लेते हैं. सभी परिजनों की समस्याएं लगभग समान होती हैं जिसमें आंख में जलन व चुभन के साथ थकान लगना शामिल है. चिकित्सक कुमुदिनी सलाह देती हैं कि आंखों में सामान्य समस्याएं होने पर लुब्रिकेंट ड्रॉप का इस्तेमाल करें.
जंक फूड से बचाएं, ठीक रहेंगी आंखें
डाक्टर कुमुदनी शर्मा बताती हैं कि बच्चों को जंक फूड से बचाना चाहिए. पौष्टिक भोजन दें, औनलाइन पढ़ाई के वक्त खुले कमरे या रोशनी में बच्चों को बैठाएं. क्योंकि मोबाइल व लैपटॉप की स्क्रीन की रोशनी आंखों पर पड़ती है जो नुकसानदायक है.
एक घंटे से ज्यादा न पढ़ें ऑनलाइन
डाक्टर कुमुदनी शर्मा का अभिभावकों को सुझाव है कि वह बच्चों को औनलाइन पढ़ाई करते वक्त एक घंटे से ज्यादा मोबाइल या लैपटॉप के सामने न बैठने दें. कुछ देर आंखों को आराम दें. मोबाइल के बजाय कम्प्यूटर, लैपटॉप का इस्तेमाल करें.
मोबाइल व लैपटाप हैं कारण 10% बच्चों में दृष्टिदोष 13% में निकट दृष्टिदोष ' पीजीआई की ई- ओपीडी में प्रतिदिन बच्चों के परिजन मांग रहे सुझाव
क्या है निकट दृष्टि दोष? मायोपिया में आंख की पुतली (आई बॉल) का आकार बढ़ने से प्रतिबिंब रेटिना पर बनने के बजाय थोड़ा आगे बनता है. इससे दूर की वस्तुएं धुंधली व अस्पष्ट दिखाई देती हैं लेकिन पास की वस्तुएं देखने में कोई कठिनाई नहीं होती है. मायोपिया का समय पर उपचार न मिलने की वजह से मोतियाबिंद व ग्लुकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है.

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