रेशम मार्गो को क्यों बनाया गया जाने सिल्क रूट के बारे में

रेशम मार्ग प्राचीन समय का व्यापारिक रास्तो का ऐसा जाल था जो यूरोप को सीधे एशिया महाद्वीप से जोड़ता था और इसके अंतर्गत कई देश आते थे, जैसे चीन, भारत, ईरान, एशिया, यूरोप और अफ्रीका । इन मार्गो की औसतन लंभाई 6500 किलोमीटर से ज्यादा है। यह रेशम मार्ग दुनिया के हर हिस्से के मैदानों, दरराओ और पर्वत श्रृंखलाओं से होकर गुजरता है।

इस मार्ग का नाम चीन के रेशम पर पड़ा क्योंकि रेशम सबसे प्रमुख्य व्यापारिक वस्तु थी जिसके साथ साथ सूती कपड़े,काग़ज़,शराब, भी चीन से होकर पश्चिम और फिर मध्य एशिया से गुजरता हुआ यूरोप और भारत पहुचता था और इन सभी स्थानों से वापिस चीन भी जाता था।इन मार्गो द्वारा व्यापार तो हुआ ही परंतु कई तरह की संस्कृतिया, धर्म, भाषाएं, सैनिक, विचारधाराएं, और घुमंतू जातियों और तीर्थ यात्रियों का भी आधान प्रधान हुआ। और न जाने कितने तरह की बीमारियां भी इसी के द्वारा फैली।
इन मार्गो का विस्तार चीन के हान वंश के समय मे तेज़ी के साथ हुआ और दूसरी सताब्दी ईसा पुर्व से लेकर दूसरी सताब्दी ईसा तक फैलता गया और फिर धीरे धीरे बाकी सभी देशों से समय के साथ मिलता गया।उस प्राचीन समय की काफी सारी सभ्यता जैसे कि मिस्र की सभ्यता, चीन की सभ्यता, इंडस वैली और हड़प्पा सभ्यता, ईरान की सभ्यता, इराक की सभ्यता में इसका काफी गहरा असर पड़ा और उनकी संस्कृति भी देश विदेश तक फैली।
व्यापारिक नज़रिये से देखा जाए तो भारत से मसाले, हाथीदांत, कपड़े, काली मिर्च और कीमती पत्थर विदेश पहुचते थे, रोम से सोना, चांदी, शीशे के सामान ,शराब, कालीन यह आते थे।और चीन विदेशो में रेशम, चाय और चिन्नी मिट्टी के वर्तन भेजता था।किसी एक शहर से समान दूसरे शहर तक जाता था ।इन रास्तों से होते हुए फिर उस मंडी से वह समान दूसरे किसी और शहर में इसी रास्ते द्वारा पहुंच जाते थे तो इस तरह एक समान हाथों-हाथ से होकर एक देश से दूसरे देश तक बड़ी आसानी से इसी रास्ते से होते हुए पहुंच जाता था।
शुरू-शुरू में रेशम मार्गो पर ज्यादा व्यापार भारतीयों और बक्टेरियो का था परंतु बाद में सोगड़ाई और मध्यकाल में ईरानी तथा अरब ज्याद करने लगे।इन समुद्री और जमीनी मार्गों के द्वारा ना सिर्फ वस्तुओं बल्कि भारतीय संस्कृति से बौद्ध धर्म इन्हीं रास्तों से होते हुए चीनी सभ्यता से मिला और उनके देश तक फैला।इनि मार्गो से होते हुए के विदेशी यात्रियों ने भारत की यात्रा की और जहां की संस्कृति और कलाओं से विश्व को अवगत करवाया जैसे मार्को पोलो, चीनी यात्री फ़ा हियांन इतियादी।
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