ग्वालियर। पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दूसरे तरीके से राजनीतिक युद्ध में उतारने की तैयारी कर चुके हैं। मध्य प्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर अशोक गहलोत ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अपने राजनीतिक नेता कमलनाथ को आलाकमान के माध्यम से सचिन पायलट के द्वारा चुनाव प्रचार करवाने के लिए राजी कर लिया गया है।
इस बात की पुष्टि खुद सचिन पायलट ने भी की है कि अगर उनको मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस आलाकमान के तरफ से निर्देश दिए जाते हैं तो वह जाने के लिए तैयार हैं और भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार करने के लिए कटिबद्ध हैं।
उल्लेखनीय है कि सचिन पायलट और अब भाजपा के टिकट पर राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया घनिष्ठ मित्र बताए जाते हैं। दोनों के बीच लंबे समय से मित्रता रही है। यहां 27 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से 16 सीट चंबल रीजन की है जो पूरी तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र की मानी जाती हैं।
इन 27 सीटों में से 9 सीटों पर गुर्जर मतदाताओं का बाहुल्य है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी और खुद कमलनाथ चाहते हैं कि सचिन पायलट वहां पर स्टार प्रचारक बनकर कांग्रेस के लिए प्रचार करें, ताकि यह ने 9 सीटों पर आसानी से जीत हासिल की जा सके।
चर्चा है कि अशोक गहलोत के द्वारा राय दिए जाने के बाद ही कमलनाथ ने कांग्रेस आलाकमान से सचिन पायलट को इस क्षेत्र में स्टार प्रचारक बनाकर भेजने की मांग की गई है।
अशोक गहलोत के जरिए एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं। एक तरफ जहां राजस्थान में सचिन पायलट का सियासी कद तेजी से बढ़ रहा है और युवाओं में उनकी डिमांड बढ़ने के कारण लगातार सरकार सवालों के घेरे में है, तो दूसरी तरफ यदि मध्य प्रदेश की गुर्जर बाहुल्य इन 9 सीटों पर कांग्रेस चुनाव हार जाती है, तो उसका ठीकरा भी सचिन पायलट के सिर पर फोड़ा जा सकता है।
संभवत यही कारण है कि कमलनाथ के द्वारा 9 सीटों को सुरक्षित करवाने के लिए सचिन पायलट को मध्य प्रदेश के उपचुनाव में स्टार प्रचारक बनाकर उतारने के लिए कांग्रेस आलाकमान से मांग की गई है।
आपको बता दें कि जिन 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, उनमें से 25 सीटें संभल रीजन की हैं, जो पूरी तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया की मानी जाती है। यहीं पर राजस्थान की सीमा से लगी हुई 9 विधानसभा सीटों पर गुर्जर बाहुल्य मतदाता होने के कारण सचिन पायलट के रूप में कांग्रेस फायदा लेने के मूड में है।
इधर सचिन पायलट लगातार अशोक गहलोत सरकार को सवालों में लेने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले दिनों दोनों नेताओं के बीच हुए राजनीति की युद्ध के बाद अशोक गहलोत सरकार सचिन पायलट और उनके साथी विधायकों की शिकायतों का निवारण करने में अभी तक नाकाम रही है।
यदि सचिन पायलट अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इन 27 सीटों में से अधिकांश सीटें कांग्रेस को जिताने में कामयाब रहे तो उनके घनिष्ठ मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगेगी। और यदि पायलट के स्टार प्रचारक होने के बाद भी कांग्रेस हार जाती है, तो इससे अशोक गहलोत को सचिन पायलट पर हमला करने का अवसर मिल जाएगा।