अमेरिका की कॉस्टा रिका यूनिवर्सिटी के मुताबिक, जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती यह विकल्प असरदार साबित होगा अब तक घोड़ों की एंटीबॉडीज से सांप के जहर का तोड़ तैयार किया जाता रहा है, यहीं से कोरोना से लड़ने का आइडिया भी आया
अमेरिकी वैज्ञानिक घोड़े की एंटीबॉडीज से कोरोना पीड़ित इंसानों का इलाज करने की तैयारी पूरी कर चुके हैं। इसी महीने 26 संक्रमित मरीजों पर ट्रायल किया जाएगा। ट्रायल का लक्ष्य संक्रमण को घटाना और इसके गंभीर मरीजों की हालत में सुधार लाना है।
रिसर्च करने वाली अमेरिका की कॉस्टा रिका यूनिवर्सिटी का कहना है, अगर ट्रायल के रिजल्ट असरदार साबित होते हैं तो बड़े स्तर पर हॉस्पिटल्स में इलाज किया जा सकेगा।
ऐसे होगा इलाज रिसर्चर के मुताबिक, हमारे पास मौजूद 110 घोड़ों में से पहले 6 का इस्तेमाल रिसर्च में किया जाएगा। इन घोड़ों में चीन और ब्रिटेन से मंगाया गया कोरोना वायरस छोड़ा जाएगा। कुछ हफ्तों बाद इनमें पर्याप्त एंटीबॉडीज तैयार होंगी। फिर इनके ब्लड से प्लाज्मा लेकर उसमें मौजूद एंटीबॉडी को कोरोना पीड़ितों में इजेक्ट किया जाएगा। ये एंटीबॉडीज मरीजों में कोरोना से लड़ने के लिए इम्यून रेस्पॉन्स को बढ़ाएंगी और वायरस को खत्म करने में मदद करेंगी।
वैक्सीन का विकल्प है यह थैरेपी
प्रोजेक्ट हेड अल्बर्टो आल्प कहते हैं, यूनिवर्सिटी से जुड़े क्लोडिमिरो पिकाडो इंस्टीट्यूट में ट्रायल होगा। हमें उम्मीद है जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती है, इलाज का यह तरीका काम करेगा। हमारे पास जो कुछ भी साधन मौजूद हैं उसका बेहतर इस्तेमाल कर रहे हैं।
कहां से आया आइडिया प्रोजेक्ट हेड अल्बर्टो के मुताबिक, सालों से हम घोड़े की एंटीबॉडी से सांप के जहर का तोड़ बनाते आ रहे हैं। इससे हम एंटी-वेनम तैयार करते हैं। इसी तरह इनकी एंटीबॉडीज से कोरोना को हराने की कोशिश कर रहे हैं। उम्मीद है, इस प्रयोग में सफलता मिलेगी। यह इलाज खासतौर सेट्रल अमेरिका के गरीब तबके के लिए राहत देने वाला होगा।
ये भी रिसर्च चर्चा में रहीं घोड़े से पहले लामा नाम के जानवर की एंटीबॉडीज भी कोरोना पीड़ितों के इलाज में कुछ हद तक असरदार साबित हुई हैं। पिछले हफ्ते ही स्वीडन के रिसर्चर्स ने ऐसी नैनोबॉडी की खोज की थी जिसमें कोरोना को ब्लॉक करने की क्षमता है। यह कोरोना को नष्ट कर सकती है। स्टॉकहोम के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में नैनोबॉडी को 12 साल के जानवर एप्लेका से निकाला गया है। इसे वायरस प्रोटीन के साथ कोरोना के मरीज में इंजेक्ट किया गया है। यह रिसर्च पूरी हो चुकी है लेकिन नतीजे आने बाकी हैं।
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