हरसिमरत का इस्तीफा मंजूर, तोमर को प्रभार, किसान बिल के विरोध में कई नेता

नई दिल्लीः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। हरसिमरत कौर की जगह कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। हरसिमरत कौर ने कृषि विधेयकों के लोकसभा में पास होने के विरोध में केंद्रीय मंत्रीमंडल से गुरुवार को इस्तीफा दे दिया था। शिरोमणि अकाली दल ने भी एनडीए से समर्थन वापस लेने का एलान किया है।पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव है और कोई भी पार्टी किसानों को नाराज नहीं करना चाहती। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। हरसिमरत कौर का इस्तीफा भी उसी का हिस्सा माना जा रहा है।

इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू ने भी सरकार पर निशाना साधा। सिद्धू ने कहा कि किसान का काम करना पंजाब की रूह है। शरीर के घाव भर जाते हैं मगर आत्मा के घाव नहीं भरते। किसानों के अस्तित्व पर हमला बर्दाश्त नहीं है। सिद्धू ने एक और ट्वीट कर लिखा की सरकारें तमाम उम्र यही भूर करती रही। धूल उनके चेहरे पर थी, आईना साफ करती रहीं।
सरकारें तमाम उम्र यही भूल करती रही,धूल उनके चेहरे पर थी, आईना साफ करती रही, 1/2
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी किसानों से संबंधित विधेयकों पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि किसानों के डर की शंका को दूर किए बगैर ही बिल पास कर दिया गया।
संसद में किसानों से जुड़े दो बिल, उनकी सभी शंकाओं को दूर किये बिना ही, कल पास कर दिये गये हैं। उससे बी.एस.पी. कतई भी सहमत नहीं है। पूरे देश का किसान क्या चाहता है? इस ओर केन्द्र सरकार जरूर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा।
पंजाब के किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरपन सिंह पंढेर ने एलान किया है कि वो 24 से 26 सितंबर तक पंजाब में किसानों के बिलों के विरोध में रोल रोका आंदोलन करेंगे। इन बिलों के विरोध में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बादल गांव में घर के बाहर एक किसान ने जहर खा लिया। बिल का विरोध सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा में हो रहा है। बादल के घर के बाहर छह दिन से किसान धरने पर बैठे हैं। भारतीय किसान यूनियन बिल का पुरजोर विरोध कर रही है।
किसान बिल के मुताबिक अब व्यापारी मंडी से बाहर भी किसानों की फसल खरीद सकते हैं। पहले फसल केवल मंडी में खरीदी जा सकती थी। दाल, आलू, प्याज, अनाज, खाद्य तेल समेत कई वस्तुओं को एसेंशियल कोमोडिटीए एक्ट से बाहर कर दिया गया है। इससे इनके ज्यादा मात्रा में भंडारण और कालाबाजारी की आशंका बढ़ गई है। सरकार कांट्रेक्ट फार्मिंग को भी बढ़ावा देना चाह रही है। बड़ी कंपनियां अनाज बोए जाने से पहले ही किसानों को एक निश्चित पैसे देकर होने वाले संभावित अनाज को खरीद लेंगी। किसानों का कहना है कि इससे वो बड़ी कंपनियों के मजदूर भर रह जाएंगे।

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