मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव (MP Assembly by Election) के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) की राज्य की सियासत में वापसी के आसार बनने लगे हैं. लंबे अरसे बाद उनकी एक बार फिर राज्य में सक्रियता बढ़ी है, साथ में भाजपा (BJP) के चुनावी मंच पर भी नजर आने लगी हैं.
राज्य में अब 28 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं और BJP की कोशिश है कि इन उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा स्थानों पर जीत दर्ज की जाए और इसके लिए वह हर रणनीति पर काम कर रही है. उसी क्रम में BJP ने अब पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की राज्य में सियासी हैसियत का लाभ उठाने की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है.
प्रदेश की सियासत से उमा भारती की दूरी
उमा भारती की अगुवाई में BJP ने साल 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी और वह मुख्यमंत्री भी बनी थीं, लेकिन हुबली विवाद के चलते उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. उसके बाद उमा भारती ने अलग पार्टी बनाई और उनकी प्रदेश की सियासत से दूरी बढ़ती गई. उमा भारती की BJP में वापसी हुई लेकिन राज्य की सियासत से उनका दखल लगातार कम होता गया और उन्हें BJP ने उत्तर प्रदेश से विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ाया और उनमें उन्होंने जीत भी दर्ज की.
चौहान और उमा भारती के बीच बढ़ीं नजदीकियां
उमा भारती को BJP की ओर से उत्तर प्रदेश का नेता बनाने की कोशिशें हुई लेकिन वे खुद मध्य प्रदेश की सियासत में सक्रिय रहना चाहती हैं, लेकिन उन्हें यह अवसर नहीं मिल पाया. राज्य के विधानसभा चुनाव हों या लोकसभा, सभी में उमा भारती की राज्य से दूरी नजर आती रही. अब राज्य की सियासत में नए समीकरण बनने लगे हैं और इन हालातों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) की उमा भारती के बीच नजदीकियां भी बढ़ा दी हैं. इस बात के संकेत उपचुनाव के दौरान नजर आने लगे हैं.
बीते एक दशक में कम ही ऐसे मौके आए हैं जब चौहान और उमा भारती एक साथ चुनाव प्रचार के लिए मंच शेयर करते नजर आए हों, लेकिन अब दोनों की नजदीकी बढ़ी हैं और मुंगावली और मेहगांव की सभा में दोनों नेताओं ने एक दूसरे की जमकर तारीफ की.
चौहान और उमा ने की एक-दूसरे की तारीफ
चौहान ने उमा भारती की तारीफ करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत (Self-reliant India) के साथ हमारा संकल्प है कि हम आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश बनायेंगे. राज्य की संबल योजना पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के 'पंचज' कार्यक्रम पर आधारित है और आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का ग्राफ भी उमा भारती तैयार करेंगी.
इसी तरह उमा भारती ने भी चौहान की तारीफ की और कहा कि प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसा नेतृत्व चाहिए, जो आत्मविश्वास से भरा हो. केंद्र की योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए एक सक्षम हाथ चाहिए. शिवराज सिंह चौहान में ये सभी खूबियां मौजूद हैं और विकास के काम में कोई कसर बाकी नहीं रखना उनका स्वभाव है, इसलिए प्रदेश को आत्मनिर्भर और मॉडल स्टेट बनाने के लिए आप आने वाले चुनाव में शिवराज को आशीर्वाद दें.
निशाने पर हैं दोनों नेता, नजदीकियां बढ़ना जरूरी
BJP के सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर के कुछ नेताओं के निशाने पर शिवराज सिंह चौहान और उमा भारती हैं, लिहाजा दोनों नेताओं को एक दूसरे के सहयोग और सहारे की जरूरत है. पार्टी के भीतर उभर रहे नए नेतृत्व ने इन नेताओं की चिंता बढ़ा दी है और यही वजह है कि अब चौहान और उमा भारती की नजदीकियां बढ़ गई हैं. अब तक चौहान ही उमा भारती को राज्य में सक्रिय होने से रोक रहे थे. वहीं BJP के प्रदेश अध्यक्ष बी.डी. शर्मा (B.D. Sharma) की उमा भारती से काफी नजदीकियां हैं.
दोनों नेताओं को राज्य के हर हिस्से ने किया स्वीकार
राजनीतिक विश्लेषक (Political Analyst) शिवम राज पटेरिया का कहना है कि BJP में सिर्फ दो पुराने ही ऐसे चेहरे हैं जिनको राज्य के हर हिस्से ने स्वीकार किया है और वो हैं चौहान और उमा भारती. उन्हें कोई पसंद करे या ना करे, लेकिन नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. पार्टी के भीतर जो नए विकल्प सामने आ रहे हैं उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरोत्तम मिश्रा, कैलाश विजयवर्गीय और विष्णु दत्त शर्मा जैसे नाम हैं लेकिन ये सभी क्षेत्रीय नेताओं के तौर पर पहचाने जाते हैं.
पिछड़ा वर्ग का बड़ा चेहरा हैं उमा भारती
राज्य में विधानसभा के उपचुनाव में पिछड़ा वर्ग (Backward Class) मतदाता नतीजों में बड़ी भूमिका निभा सकता है, लिहाजा उमा भारती पिछड़ा वर्ग का बड़ा चेहरा हैं, पार्टी इसका लाभ लेना चाहती है और यही वजह है कि उन्हें राज्य में सक्रिय किया जा रहा है.
सियासी तौर पर चर्चा तो यहां तक है कि उमा भारती बड़ा मलेहरा विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव भी लड़ सकती हैं, क्योंकि उमा भारती के करीबी प्रद्युम्न सिंह लोधी (Pradyuman Singh Lodhi) ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर BJP का हाथ थामा है. प्रद्युम्न को खाद्य और नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा चुका है. पार्टी का कोई भी नेता इस मसले पर बात करने को तैयार नहीं है. (IANS)