झांसी। एक पखवाड़े पहले तक संतोष नगरिया के परिवार में हर तरह की खुशियां थीं। कारोबार अच्छा चल रहा था और भरेपूरे परिवार में दिन भर ठहाके गूंजते रहते थे। लेकिन, अचानक ही परिवार की सारी खुशियां काफूर हो गईं। एक पुत्र की मौत के सदमे से संतोष उबर नहीं पाए थे कि चार दिनों के भीतर ही दूसरा पुत्र भी साथ छोड़ गया।कैलाश रेजीडेंसी निवासी संतोष के दो बेटे और दो बेटियां थीं। चारों की शादी की जिम्मेदारी से वे समय रहते निवृत्त हो चुके थे। बड़े बेटे पंकज के आठ साल का लड़का व 12 साल की एक लड़की है, जबकि छोटे बेटे विशाल का तीन साल का लड़का व एक साल की लड़की है। कारोबार की जिम्मेदारी बच्चों ने पूरी तरह से संभाल ली थी तथा संतोष व उनकी पत्नी का समय नाती - पोतों के बीच आराम से कट रहा था।
अचानक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। दोनों बेटे कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ गए। पहले एक की मौत हुई और चौथे दिन दूसरा बेटा भी साथ छोड़कर चला गया। ये खबर जिसने सुनी उसकी की आंखें नम हो उठीं। परिवार को ढांढस बंधाने के लिए लोगों के पास शब्द भी नहीं रहे।परिवार के बाकी सदस्यों की रिपोर्ट निगेटिव झांसी। पंकज और विशाल की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद परिवार के अन्य सदस्यों की भी कोरोना जांच हुई और सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई। दुकान में काम करने वाले स्टाफ की रिपोर्ट भी निगेटिव आई। इससे सभी ने राहत की सांस ली थी। लेकिन, कोरोना संक्रमित भाइयों की मौत से सभी सदमे में हैं।इलाज में लापरवाही का आरोप, अस्पताल के खिलाफ एफआईआरझांसी। कोरोना संक्रमित दो सगे भाइयों की मौत के मामले में परिजनों ने दिल्ली के एक निजी अस्पताल पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। अस्पताल के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है। सोमवार को एम्स की टीम जांच करेगी।कैलाश रेजीडेंसी निवासी पंकज गुप्ता (44) और विशाल गुप्ता (38) का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने पर 28 अगस्त को पैरा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। तीन सितंबर को दोनों भाइयों को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया। यहां नौ सितंबर की रात पंकज की मौत हो गई। जबकि, रविवार की सुबह विशाल ने दम तोड़ दिया। दोनों भाइयों की मौत के मामले में परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। मृतक भाइयों के रिश्तेदार नरसिंह राव टौरिया निवासी सुनील गुप्ता ने बताया कि दस दिन भीतर दिल्ली में दोनों भाइयों के इलाज तकरीबन पंद्रह लाख रुपये खर्च किए गए।