संवाद सहयोगी, बिक्रमगंज: रोहतास। मीडिया के बढ़ते प्रभाव ने पुलिस कर्मियों पर भी शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। संझौली के पूर्व थानाध्यक्ष और धर्मपुरा के ओपी अध्यक्ष केएन यादव एक आरोपी महिला से अश्लील बात करने, केस से धारा हटाने के लिए शारिरिक संबंध बनाने की बात कह बुरी तरह फंस गए। इस संबंध में दबाव बनाने का ऑडियो वायरल होने पर एसपी के आदेश पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इससे पूर्व भी काराकाट, कच्छवां और बिक्रमगंज में इस तरह की घिनौनी करतूत से पुलिस पदाधिकारियों की गिरफ्तारी और उनपर कार्रवाई हुई है।
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दो दिसंबर 2019 को बिक्रमगंज के कन्या मध्य विद्यालय में एक मासूम बच्ची के साथ छेड़खानी के मामले में भी प्रधानाध्यापक की शिकायत पर पुलिस ने एक क्यूआरटी के जवान को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसी थाना क्षेत्र में अवैध वसूली में भी तीन पुलिस कर्मी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। वहीं कच्छवां थाना क्षेत्र में 16 फरवरी 2017 को एएसआइ रामनरेश राम का अवैध वसूली करते वीडियो वायरल होने पर पांच पुलिसकर्मियों को जेल भेजा गया था। जबकि 13 अप्रैल 2018 को काराकाट थाना क्षेत्र में अवैध वसूली करते वीडियो वायरल होने पर एएसआइ शंकर सिंह समेत पांच पुलिस कर्मी जेल भेजे गए थे। 27 जून 2019 को बिक्रमगंज के प्रभारी थानाध्यक्ष तनिक कुमार और उनके साथ गश्ती पर निकली टीम का वीडियो वायरल होने के बाद दरोगा और गश्ती दल में शामिल पुलिस कर्मियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज हुई थी। हालांकि केस दर्ज होने के बाद इनकी गिरफ्तारी नहीं हुई और सभी फरार हो गए। जबकि 23 जून 2020 को बिक्रमगंज की पुलिस ने सीमावर्ती भोजपुर जिले के हसनबजार थाना के दरोगा रामा उरांव समेत पांच पुलिस कर्मियों को अवैध वसूली के मामले में गिरफ्तार किया था। जिन्हें बाद में भोजपुर पुलिस को सुपुर्द करने के बाद निगरानी विभाग को भेजा गया। इसी तरह अवैध वसूली के मामले में डेहरी में एसडीएम ने पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की थी। फिर भी कुछ पुलिस कर्मी अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहे।
Posted By: Jagran
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