भारत में बलात्कार के बढ़ते मामलों के साथ-साथ टू फिंगर टेस्ट पर चर्चा भी रह-रह कर होती ही रहती है। तमाम लोगों ने इस परीक्षण के प्रति कई प्रकार की धारणाएं बना रखी हैं। वैसे सच पूछिए तो यह एक प्रकार की मानसिक यात्ना के बराबर है, जो रेप पीडि़ता को अस्पताल पहुंचने के बाद दी जाती है।
लेकिन इस पर कुछ भी कहने से पहले यह जानना जरूरी है, कि आखिर यह टू फिंगर टेस्ट क्या है? यह एक प्रकार का परीक्षण है, जिसे अंग्रेजी में पर वैगिनल इग्जैमिनेशन कहते हैं। इसके माध्यम से कौमार्य परीक्षण किया जाता है, यह पता करने के लिये कि महिला के साथ संभोग हुआ है या नहीं।
इस परीक्षण में महिला की योनि का टेस्ट इस धारणा के साथ किया जाता है कि संभोग के परिणामस्वरूप इसमें मौजूद हाइमन यानी योनिच्छद फट जाता है। इसमें डॉक्टर उंगलियों की संख्या के आधार पर बताते हैं कि महिला के साथ यौन संबंध बने हैं या नहीं।