उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में इंसानी खून की कालाबाजारी धड़ल्ले से हो रही है. इंसानी खून का अवैध व्यापार काफी सालों से चल रही है. माफिया खून का अवैध व्यापार छोटे जिलों में बेधड़ होकर कर रहे हैं. खून माफियाओं के एजेंट बिना टेस्टिंग मजबूर लोगों का खून खरीदते हैं, उसके बाद अच्छी कीमत पर दूसरे जरूरतमंदों को बेच देते हैं. बिना टेस्टिंग के संक्रमित व्यक्तियों, नशेड़ी, कोरोनावायरस संक्रमित लोगों, टीबी, कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों का खून हजारों रुपए में सीधे साधे ग्रामीणों को बेच दिया जाता है.
खून माफियाओं को पकड़ने के लिए बांदा पुलिस और ड्रंग इंस्पेक्टर ने एक टीम का गठन किया और 3 एजेंटों को खून बेचते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया. एजेंटों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस के मुताबिक खून बेचने का कारोबार पिछले 10 सालों से जिले में धड़ल्ले से चल रहा था.
सैलरी के बदले लिया जाता है नर्सिंग स्टाफ का खून
बतादें कि बांदा जिले में एसे कई नर्सिंग होम हैं, जिनमें सैलरी देने के बदले नर्सेज स्टाफ़ का हर महीने 12 यूनिट खून लिया जाता है. इस कारोबार में बड़े-बड़े रसूखदार लोग शामिल हैं, जो इस काम को पिछले 10 सालों से बिना डरे कर रहे हैं. पुलिस और ड्रग इंस्पेक्टर ने मुखबिर की सूचना के बाद रोडवेज बस स्टाप पर छापेमारी की, जिसमें 3 लोगों को ब्लड बेचते हुए गिरफ्तार कर लिया गया. पकड़े गए तीनों आरोपियों ने कई बड़े खुलासे किए हैं, लेकिन प्रशासन मुख्य आरोपियों को पकड़ने में ढील दे रहा है.
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ करीब एक दर्जन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. सभी को रिमांड पर लेकर आगे की पूछताछ जारी है जिससे यह पता लगाया जा सके कि इस काले धंधे में स्वास्थ्य विभाग के कौन से अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं