उद्धव ठाकरे तुझे क्या लगता है, तूने फिल्म माफिया के साथ मिलकर मेरा घर तोड़ कर मुझसे बहुत बड़ा बदला लिया है. आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा. ये वक्त का पहिया है. याद रखना, हमेशा एक जैसा नहीं रहता. और मुझे लगता है तुमने मुझ पर बहुत बड़ा अहसान किया है.' मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए यह शब्द फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के हैं. शिवसेना के साढ़े पांच दशक के राजनीतिक इतिहास में पहली बार ठाकरे परिवार को मुंबई में सिनेमा स्टार से कोई चुनौती मिली है. इतना ही नहीं, कंगना ने चुनौती ही नहीं दी है बल्कि शिवसेना के अंदाज में ही उद्धव ठाकरे पर जवाबी हमले भी किए हैं.
महाराष्ट्र में कंगना रनौत और शिवसेना के बीच चल रही अदावत कम होने के बजाय लगातार बढ़ती ही जा रही है.
बुधवार को कंगना रनौत के मुंबई पहुंचने से पहले बीएमसी उनके पॉली हिल्स स्थित ऑफिस जेसीबी लेकर पहुंच गई. अवैध निर्माण के आरोप में बीएमसी ने कंगना के ऑफिस के एक हिस्से को गिरा दिया. बीएमसी पर शिवसेना का कब्जा है. बीएमसी के एक्शन के बाद शिवसेना के लिए कंगना रनौत एक बड़ी सियासी चुनौती बनती नजर आ रही हैं. कंगना ने अब शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत के बजाय सीधे तौर पर सीएम उद्धव ठाकरे पर हमला बोलना शुरू कर दिया है .
ऐसे में सवाल ये उठता है कि कंगना और महाराष्ट्र सरकार के बीच अदावत की शुरुआत क्यों हुई. इस कलह की जड़ क्या है? इस सवाल का जवाब कंगना के उस ट्वीट में मिलता है जिसमें उन्होंने सवाल किया था कि मुंबई धीरे धीरे 'पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर' क्यों लगने लगी है. इस पर शिवसेना नेता संजय राउत समेत कई फिल्मी हस्तियों की ओर से कंगना रनौत की आलोचना की गई. शिवसेना नेता की ओर से कंगना के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया गया. इसी के बाद से कंगना रनौत ने शिवसेना के आक्रमकता वाले अंदाज में जवाबी हमले शुरू कर दिए.
महाराष्ट्र की सियासत को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अनुराग चतुर्वेदी कहते हैं कि बीएमसी ने एक्शन के चलते कंगना रनौत को भले ही देश भर में सहानुभूति मिल रही हो, लेकिन महाराष्ट्र में शिवसैनिक इस कार्रवाई से बहुत खुश हैं. शिवसेना देश की दूसरी राजनीतिक दलों की तरह कभी गंभीरता से सियासत करने वाली पार्टी नहीं रही है बल्कि सड़क पर भीड़तंत्र के साथ उतरने वाली पार्टी है. शिवसेना इस तरह से आलोचना से घबराती नहीं है. हालांकि, शिवसेना सत्ता में है और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री है. ऐसे में कंगना रनौत ने जिस तरह की भाषा में जवाबी हमले किए हैं, वो पहली बार है और सरकार में होने के चलते शिवसेना बैकफुट पर भी है, क्योंकि सहयोगी भी खुलकर साथ नहीं खड़े हो रहे हैं.
अनुराग चतुर्वेदी कहते हैं कि कंगना रनौत जिस तरह से शिवसेना पर हमलावर हैं, उससे साफ पता चलता है कि बीजेपी का उन्हें भारी समर्थन हासिल है. अगर ऐसा नहीं होता तो ये संभव ही न होता कि वह उद्धव ठाकरे के बारे में इस तरह की भाषा में जवाबी हमले कर पातीं. शिवसेना ने बीएमसी के जरिए कंगना रनौत को सियासी संदेश देने की कोशिश की है. इसके बाद भी कंगना के तेवर सख्त हैं, जिसके बाद अब भले ही शिव सेना सीधे उन पर हमला न करे, लेकिन उद्धव बॉलीवुड और सरकारी अमले के जरिए से कंगना पर नकेल कसने की कोशिश जरूर करेंगे.
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार केजी सुरेश कहते हैं कि कंगना रनौत के खिलाफ बीएमसी ने जो कार्रवाई की है, उसमें बदले की भावना नजर आती है. क्योंकि मुंबई में तमाम ऐसी इमारतें हैं जहां अवैध निर्माण किया गया है. वहां इस तरह की कार्रवाई नहीं होती है. इसीलिए शिवसेना के साथ उसके सहयोगी भी नहीं खड़े हैं. शरद पवार ने भी इसे जायज नहीं माना है. शिवसेना के खिलाफ उसके घर (मुंबई) में ही किसी राजनीतिक पार्टी ने मोर्चा नहीं खोला बल्कि बॉलीवुड के अंदर से चुनौती मिली है. शिवसेना तो बॉलीवुड पर अपना एकछत्र राज मानती है. ऐसे में उद्धव ठाकरे के लिए इस चुनौती से पार पाना आसान नहीं है.
महाराष्ट्र की वरिष्ठ पत्रकार सुजाता आनंदन कहती हैं कि उद्धव ठाकरे ने हाल ही में गैर-एनडीए के मुख्यमंत्रियों की बैठक में जिस तरह से मोदी सरकार के खिलाफ तेवर दिखाए थे. उसी दिन यह बात साफ हो गई थी कि केंद्र बनाम राज्य के टकराव महाराष्ट्र में और भी गहरे होने वाले हैं. कंगना रनौत ने फिलहाल भले ही ठाकरे परिवार पर हमले करके नई चुनौती खड़ी कर दी हो, लेकिन वो महज एक राजनीतिक मोहरा हैं. कंगना जिस तरह से बाबर, कश्मीर जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है, उससे साफ राजनीतिक झलक नजर आती है. शिवसेना के सत्ता में रहते हुए बीजेपी अगले पांच सालों तक ठाकरे परिवार को अपने निशाने पर रखेगी.
बता दें कि महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना और बॉलीवुड के बीच कई बार टकराव दिखा है, लेकिन पहली बार ठाकरे परिवार निशाने पर आया है. शिवसेना की राजनीति हमेशा से आक्रामक रही है और यही उसकी पहचान है. शिवसेना को उसी अंदाजा व भाषा में अभी तक न तो किसी ने जवाब दिया था और न ही चुनौती पेश की थी. यह पहली बार है कि कंगना रनौत शिवसेना के लिए सिरदर्द बन गई है.
बीएमसी के एक्शन के बाद भी कंगना के तेवर नरम नहीं हुए हैं. कंगना ने शिवसेना के हर सवाल पर सख्त लहजे में जवाब दिया है. कंगना ने कहा, 'मैं रानी लक्ष्मीबाई के पद चिन्हों पर चलूंगी. ना डरूंगी, ना झुकूंगी. गलत के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाती रहूंगी.' इससे साफ जाहिर है कि कंगना और शिवसेना के बीच सारी जंग फिलहाल खत्म होने वाली नहीं है.