कंगना-शिवसेना विवाद: शरद पवार से बोले उद्धव, 'जरूरी था एक्शन लेना', पढ़ें मीटिंग की इनसाइड स्टोरी

बीएमसी (BMC) की ओर से एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की ऑफिस ढहाये जाने के बाद से खड़ा हुआ विवाद बढ़ता ही जा रहा है. इस विवाद के चलते महाराष्ट्र (Maharashtra) की महा विकास अघाड़ी सरकार में समस्याएं खड़ी हो गई हैं. गुरुवार को इस मसले पर सत्ताधारी गठबंधन के अहम दलों एनसीपी और शिवसेना की बैठक हुई. बैठक में एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना अध्यक्ष व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और संजय राउत भी मौजूद रहे. इंडिया टीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बैठक में शरद पवार ने कहा, "कंगना रनौत की टिप्पणी को नजरअंदाज कर दिया जाना चाहिए था."

बताया जा रहा है कि शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से कहा कि अगर कंगना के बयान के नजरअंदाज कर दिया गया होता तो यह मसला इतना आगे बढ़ता ही नहीं. सूत्रों के मुताबिक, इस पर उद्धव ठाकरे ने शरद पवार से कहा कि एक्शन लेना जरूरी हो गया था. सूत्रों की मानें तो ठाकरे ने मीटिंग के दौरान यह भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार पर लगातार निशाना साधा जा रहा था.
मीटिंग में क्या बोले सीएम उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने कथित तौर पर कहा, "बीजेपी लगातार अलग-अलग मुद्दों को लेकर 'कंगना रनौत जैसे प्यादों' के जरिए सरकार को बदनाम करती रहती है. सुशांत सिंह राजपूत की मौत, कोरोनावायरस महामारी और पालघर लिंचिंग जैसे मामलों में भी यही देखने को मिला."
रिपोर्ट के मुताबिक, उद्धव ठाकरे ने कहा कि जानबूझकर हर किसी की इमेज खराब की जा रही है. अब हमें इसे वापस लाने की जरूरत है. सूत्रों ने बताया कि शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के एक्शन का समर्थन किया लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कठोर कदम नहीं उठाए जाने चाहिए.
बीएमसी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन शुरू किया
वहीं, बीएमसी ने कंगना के दफ्तर को तोड़ने के एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन शुरू कर दिया है. अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. जाने-माने बैरिस्टर विनोद तिवारी ने बताया, "24 अक्टूबर, 2019 के अपने एक ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि अवैध निर्माण से संबंधित किसी मामले में नोटिस दिए जाने के 24 घंटे के भीतर अगर कोई प्रतिक्रिया न आए तो बीएमसी के पास उस संपत्ति को ध्वस्त करने का अधिकार है."
कंगना के मामले में भी जब महानगरपालिका को अवैध निर्माण का पता चला, तो नियमानुसार धारा 351 के तहत संपत्ति के मालिक को 24 घंटे के भीतर कारण बताओ नोटिस जारी करने को कहा गया. न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की सर्वोच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा कि डिजिटली टाइम और डेट के साथ मौजूद तस्वीरों में स्पष्ट रूप से अवैध संरचना दिखाई पड़ती है.

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