कंगना राणाउत का उद्धव पर हमला, बताया वंशवाद की निशानी

नई दिल्ली. मनिकर्णिका दफ्तर तोड़े जाने से नाराज फिल्म अभिनेत्री कंगना राणाउत ने हमले के लिए सीधे-सीधे शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को चुना। कंगना ने एक के बाद एक ट्वीट कर शिवसेना के यूएसपी हिन्दुत्व की बुनियाद पर हमला बोला। एक ट्वीट में कंगना ने कहा कि उद्धव को उनके पिता बाला साहब ठाकरे के अच्छे कर्म दौलत दे सकते हैं मगर सम्मान उन्हें खुद कमाना पड़ेगा। वंशवाद का नमूना उद्धव कब तक सच्चाई से भागेंगे।

बाला साहब ठाकरे ने शिवसेना की आधारशिला हिन्दुत्व पर रखी थी मगर कंगना के मुताबिक उद्धव उस विचारधारा को बेच कर सोनिया सेना बन चुके हैं। कंगना ने कहा कि पिछले महाराष्ट्र चुनाव के बाद उद्धव ने बेशर्मी से मिलावट कर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनाई। दरअसल, शिवसेना ने बीजेपी के साथ चुनाव लड़ा था और उसे हिन्दुत्व पर बीजेपी के साथ सरकार बनाने पर वोट मिला था। मगर अपना मुख्यमंत्री थोपने पर शिवसेना और बीजेपी में तकरार बढ़ गई और उद्धव कांग्रेस और एनसीपी की गोद में जाकर बैठ गए।
जिस विचारधारा पे श्री बाला साहेब ठाकरे ने शिव सेना का निर्माण किया था आज वो सत्ता केलिए उसी विचारधारा को बेच कर शिव सेना से सोनिया सेना बन चुके हैं, जीन गुंडों ने मेरे पीछे से मेरा घर तोड़ा उनको सिविक बॉडी मत बोलो, संविधान का इतना बड़ा अपमान मत करो ? https://t.co/ZOnGqLMVXC
कंगना ने अपने दफ्तर को तोड़ने वाले बीएमसी कर्मचारियों को उद्धव के गुंडे बताया। उन्होंने कहा कि किसी सिविक बॉडी ने नहीं गुंडों ने उनका दफ्तर तोड़ा है। कंगना ने इसे संविधान का अपमान बताया। कंगना ने कहा कि उऩका मुंह बंद किए जाने पर उनकी आवाज सैकड़ों फिर लाखों में गूंजेगी। उद्धव कितने लोगों का मुंह बंद करेंगे?
दफ्तर से अवैध निर्माण गिराने को लेकर मुंबई की अदालत में सुनवाई भी है। दरअसल कोरोना के कारण बॉम्बे हाईकोर्ट ने किसी भी तरह के अवैध निर्माण गिराने पर 30 सितंबर तक रोक लगाई हुई है। बुधवार को कंगना के दफ्तर से अवैध निर्माण गिराने पर भी अदालत ने तल्ख टिप्पणी की थी। खास बात है कि कंगना राणाउत के दफ्तर तोड़ने पर खुद महाराष्ट्र अघाडी सरकार में भी फूट पड़ गई है। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने इसका विरोध किया है। पवार ने कहा कि कंगना का दफ्तर जल्दबाजी में तोड़ा गया। इससे सरकार की छवि खराब हुई है। विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया है।
तुम्हारे पिताजी के अच्छे कर्म तुम्हें दौलत तो दे सकते हैं मगर सम्मान तुम्हें खुद कमाना पड़ता है, मेरा मुँह बंद करोगे मगर मेरी आवाज़ मेरे बाद सौ फिर लाखों में गूंजेगी, कितने मुँह बंद करोगे? कितनी आवाज़ें दबाओगे? कब तक सच्चाई से भागोगे तुम कुछ नहीं हों सिर्फ़ वंशवाद का एक नमूना हो।
कंगना का दफ्तर तोड़ने पर भी बीएमसी का दोहरा मापदंड सामने आया। कंगना के दफ्तर से ठीक सटे जाने-माने डिजाइनर मनीष मल्होत्रा का दफ्तर है जिसमें कंगना जैसे ही अवैध निर्माण हैं। 7 सितंबर को कंगना के साथ ही बीएमसी ने मनीष मल्होत्रा को भी नोटिस भेजा। मगर जहां कंगना को केवल 24 घंटे का वक्त दिया गया, मनीष को एक हफ्ते का वक्त दिया गया। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे के सलाहकार को चिट्ठी लिख कर जवाब मांगा है।
कंगना के दफ्तर के अवैध निर्माण को गिराने से पहले बीएससी ने भी चालाकी दिखाने की कोशिश की। पूरे भारत में किसी भी अवैध निर्माण को गिराने से पहले 15 दिन का नोटिस देना होता है। मगर अगर कहीं अवैध निर्माण का काम जारी हो तो 15 दिन के नोटिस की जरूरत नहीं होती। बीएमसी ने चालाकी से कंगना के दफ्तर में जो नोटिस चस्पा किया उसमें लिखा की अवैध निर्माण जारी है इसलिए वो एक दिन के भीतर बीएमसी को जवाब दें। कंगना ने एक हफ्ते का वक्त मांगा जिसे बीएमसी ने नकार दिया और जारी अवैध निर्माण के नाम पर 48 करोड़ में बने दफ्तर का बड़ा हिस्सा गिरा दिया। खास बात है कि कार्रवाई के दौरान बीएमसी पर घर के फर्निचल और दूसरी चीजें भी तोड़ने का आरोप लगा है।

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