लोन मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार उच्चतम स्तर सभी सेक्टर से जुड़े मामलों पर विचार कर दो हफ्ते के अंदर फैसला ले. न्यायलय ने इस बाबत हलफनामा दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमको बताया गया कि विशेषज्ञ समितियों का भी गठन किया गया है जो इसपर मामले में विचार कर रही है, याचिकाकर्ताओं के वकील ने अन्य क्षेत्रों के अलावा व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को चिंता ज़ाहिर किया जिनपर इसका असर पड़ेगा.
न्यायलय के सामने रखे जाएं विचार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय रिज़र्व बैंक, भारत सरकार या बैंकों द्वारा लिए गए सभी फैसलों को विचार के लिए न्यायालय के समक्ष रखा जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतरिम आदेश जारी रहेगा, पिछले हफ्ते की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मामला खत्म होने तक किसी भी खाते को NPA घोषित नहीं करने का अंतरिम आदेश दिया था
अंतिम बार टाली जा रही है सुनवाई
सुपीम कोर्ट ने कहा कि ब्याज छूट पर फैसला करके ठोस नतीजे के साथ आए केंद्र सरकार. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सुनवाई को अंतिम बार टाला जा रहा है, इस बीच सभी पक्षों को जवाब दाखिल करना है SG तुषार मेहता ने कहा ऋण पर ऋण लेने के मुद्दे पर 2 से 3 दौर की बैठक हुई है जल्द ही इसपर फैसला लिया जाएगा, बैंकों के साथ परामर्श से बैंक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे
केंद्र सरकार ने मामले की सुनवाई 2 हफ्ते टालने की मांग की
IBA की तरफ से हरीश साल्वे ने कहा कि सरकार ने कोई स्पष्ट फैसला नही लिया है, एक नया प्रस्ताव आया है और जिसे पंजीकृत किया जाना है, नियमों पर अमल किया जाएगा, स्टेट बैंक ने दिशा-निर्देश लागू किए थे. साल्वे ने कहा कि बिजली क्षेत्र के लिए राज्यों को फैसला लेना है,लॉक डाउन खत्म हो चुका है, उसका नुक़सान कौन उठाएगा, संपूर्ण ऋण बैंकों में नहीं डाला जा सकता वरिष्ठ वकील CA सुंदरम ने मोरिटेरियम अवधि 2 हफ्ता बढ़ाने की मांग की, कहा कि बैंक अब कह रहे है कि मोरिटेरियम अवधि नही है, बैंक कह रहे है कि वह NPA घोषित नहीं करेंगे, आपकी देनदारी शुरू हो गई है, 6 महीने की ब्याज को डेबिट किया जा रहा है.
कार्पोरेट से ज्यादा आम आदमी परेशान
राजीव दत्त ने एक याचिककर्ता की तरफ से पेश होते हुए कहा कि हमें खुशी है कि सरकार कॉर्पोरेट ऋणों का पुनर्गठन करने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि आम लोग पीड़ित हैं. भारतीय रिज़र्व बैंक की तरफ से वरिष्ठ वकील वी. गिरि ने कहा कि 27 मार्च के परिपत्र के अनुसार निलंबित नहीं किया जा सकता है, डाउन ग्रेडिंग को नियमों के अनुसार किया जाएगा, 2 हफ्ते की देरी से करदाताओं पर ज़्यादा असर नही पड़ेगा, मामले में उच्च स्तर पर विचार किया अजा रहा है.