नई दिल्ली : मोदी सरकार ने लॉकडाउन में कृषि अध्यादेशों के खिलाफ किसानों ने कुरुक्षेत्र के पिपली अनाज मंडी में आज से यानि 10 सितंबर से रैली का आह्वान किया है, लेकिन हरियाणा सरकार ने इस रोक लगा दी है. हरियाणा सरकार का कहना है कि रैली में इकठ्टा होने वाले लोगों की वजह से कोरोना का संक्रमण और ज्यादा बढ़ सकता है और साथ ही धारा 144 भी लगा दी गई है.
रैली को रोकने के लिए जिले में 54 नाके लगाकर 600 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. बता दें कि हरियाणा में BJP की सरकार है वो अपनी पार्टी की केंद्र सरकार के खिलाफ अपने राज्य में किसी भी हालत में रैली नहीं होने देगी. वो भी उस अध्यादेश के खिलाफ जिसे सरकार कृषि सुधार की दिशा में सबसे बड़ा कदम बता रही है.
अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने कहा- सरकार ने किसानों और व्यापारियों की आवाज दबाने के लिए धारा-144 लगा दी है. इसकी वो निंदा करते हैं, तो वहीं कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल ने सबी किसानों से अपील करते हुए कहा है कि कोरोना संकट के इस समय होने वाली रैली को स्थगित करें.
आपको बता दें कि गांवो में अन्नदाता जागरूक अभियान के तहत किसानों को लामबंद किया जा रहा है, जिस वजह से रैली का आह्वान किया गया था. भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशा अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा- किसानों को उद्यमी बनाने के नाम पर बहकाया जा रहा है. जो कृषि अध्यादेश लाए गए हैं वे किसान हित में नहीं हैं. चढ़ूनी ने आगे बताया- प्रशासन ने उनके घर पर नोटिस भेज दिया है कि रैली के आयोजन पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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उनका मानना है कि इन अध्यादेश के हिसाब से कंपनियां एडवांस में किसानों का फसल खेतों में खरीद लेंगी. मंडियों में फसल बेचने पर मार्केट फीस लगेगी. तो वहीं कृषि मंत्री जेपी दलाल ने आज यहां स्पष्ट कर दिया है कि- हरियाणा सरकार राज्य के सभी किसानों की सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध करवाने तथा प्रदेश में सरकारी मंडियों का और विस्तार करने के लिए कटिबद्ध है.
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम चढ़ुनी की उच्च अधिकारियों के साथ कल देर रात हुई बैठक में यह बात पहले ही स्पष्ट कर दी गई थी कि सरकार इस बारे में वैधानिक व्यवस्थाओं को और सुदृढ़ करने को भी तैयार है.