- आर.के. सिन्हा
सच में जब समाज और देश के सम्मानित और प्रतिष्ठित नायक किसी गलत कृत्य के कारण फंसते हैं तो उनके प्रशंसकों का मन उदास हो जाता है। उनके गलत कामों से उनके चाहने वाले और उनसे प्रेरणा लेने वाले हजारों-लाखों लोग अपने को ठगा-सा महसूस करते हैं। आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की गिरफ्तारी के बाद यही हुआ। चंदा कोचर के पति अपनी पत्नी के माध्यम से बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों को मोटा लोन दिलवाते थे। बदले में अपनी कमीशन की मोटी फीस डकार जाते थे।
चंदा कोचर तथा उनके पति के काले कारनामे सबके सामने आ चुके हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वीडियोकॉन ग्रुप को आईसीआईसीआई बैंक की ओर से 3250 करोड़ रुपये के ऋण में अनियमितता के मामले में दीपक कोचर की गिरफ्तारी की है। इस तरह के मामले में यह पहली बड़ी गिरफ्तारी है। अब चंदा कोचर और कुछ और लोग भी जेल जा सकते हैं। इससे पहले ईडी ने चंदा कोचर के मुंबई स्थित फ्लैट और उनके पति दीपक कोचर की कंपनी की कुछ संपत्तियों को जब्त किया था। इन जब्त संपत्तियों का कुल मूल्य 78 करोड़ रुपये बताया गया था।
जिस चंदा कोचर को देश की सफल कार्यशाली महिलाओं का नायक माना जाता था, उनकी करतूतों से कौन शर्मसार नहीं होगा। उन्हें अपने बैंक में घोटाला करने के चलते पहले ही नौकरी से हाथ धोना पड़ा। चंदा कोचर की करतूतों से बचपन से मन-मस्तिष्क में बैठी भारतीय नारी की शालीन, सौम्य और सुन्दर छवि पर भी कुठाराघात होता है। मातृस्वरूपा, वात्सल्यमयी संस्कारों की जननी मां जैसी भारतीय नारी को ऊंचे पदों पर जाकर जहां संस्थान में स्वच्छ चरित्र और अनुकरणीय सुगंध की बयार बहानी चाहिए थी, वो स्वयं भ्रष्टाचार के दलदल में जाकर फँस गईं। इससे दुर्भाग्यपूर्ण कुछ और नहीं हो सकता।
इसमें शक नहीं कि चंदा कोचर पर तमाम किस्म के आरोप लगने के कारण हजारों लोगों का मन बेहद खिन्न है। उन्हें देश के बैकिंग क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं का रोल मॉडल माना जाता रहा है। एकबार राजधानी में उद्योग और वाणिज्य परिसंघ फिक्की की तरफ से आयोजित परिचर्चा के दौरान उन्होंने कहा था- "हम (महिलाएं) विशेषाधिकार की मांग नहीं करतीं, इसके बजाय हमें योग्यता के आधार पर ही नौकरी मिले।" उनकी राय को सुनकर कोई भी उनके प्रति सम्मान का भाव रखने लगेगा। लेकिन उनके भ्रष्ट आचरण से देश की करोड़ों महिलाओं और नये करियर को अपनाने वाली नवनियुक्तियों को भारी हताशा हुई है। चंदा कोचर, अंरुधति भट्टाचार्य, शिखा शर्मा, नैनालाल किदवई, विजयालक्ष्मी अय्यर वगैरह को सरकारी या निजी बैंकों के शिखर पर पहुंचने के चलते सारे देश का आदर मिला। चंदा कोचर की प्रतिष्ठा अब तार-तार हो गयी।
दरअसल एक जागरूक नागरिक की शिकायत पर चंदा कोचर के बैंक मैनेजमेंट ने उनके खिलाफ जांच शुरू की थी। तब किसी को उम्मीद नहीं थी कि चंदा कोचर कितने घोटाले कर रही हैं। उन्हें देश के बैंकिंग सेक्टर की सर्वशक्तिमान हस्तियों में से एक माना जाता था। शुरू में यही लग रहा था कि उनके ऊपर मिथ्या आरोप लगाए जा रहे हैं।
बेशक, देश के बैंकिंग सेक्टर में फैली कोढ़ को तुरंत साफ करना होगा। कुछ माह पहले बैंकिंग की दुनिया में झंडे गाड़ने वाले यस बैंक के फाउंडर राणा कपूर भी बुरी तरह फंस गए हैं। वे भी विभिन्न उद्योगपतियों और औद्योगिक घरानों को भारी-भरकम उल्टा-सीधा लोन देकर अपना खुद का साम्राज्य खड़ा कर रहे थे। वे भी अब जेल की हवा खा रहे हैं। मुंबई और दिल्ली के पॉश इलाकों में महंगी संपतियां खरीदने वाले राणा कपूर भी बैंकिंग क्षेत्र में एक बड़ा नाम थे। वे देश के आम बजट पर अपनी राय मीडिया को देकर अनुगृहीत करते थे। सदा सुर्खियों में बने रहते थे I लेकिन, असल में वे शातिर दिमाग के इंसान निकले। यस बैंक में संकट गहराया तो राणा कपूर के मुंबई स्थित घर में जांच एजंसियां छापे मारने लगीं।
राणा कपूर ने अपनी दो बेटियों की शादी दिल्ली में ही की। उनकी बड़ी बेटी राखी की शादी दिल्ली के बिजनेसमैन अलकेश टंडन से मौर्या शेरटन में हुई थी। अलकेश टंडन चचेरा भाई है स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल के दामाद अमन भाटिया का। इस शादी में महान टेनिस खिलाड़ी बोरिस बेकर मोटा पैसा लेकर सपत्नीक आये थे। राणा की दूसरी पुत्री राधा का विवाह आदित्य खन्ना से हुआ था। आदित्य वित्तीय मामलों के एक्सपर्ट और हैज फंड मैनेजर हैं। यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर की करतूतों के तमाम काले चिट्ठे तो अब सबके सामने आ रहे हैं। वे अब सपरिवार सार्वजनिक संपत्ति के लूट-खसोट के मामलों में फंसते चले जा रहे हैं। सीबीआई और दूसरी सरकारी एजेंसियां उनके घरों और दफ्तरों को खंगाल रही हैं। यानी राणा कपूर भी अर्श से फर्श पर आ गए हैं ।
दरअसल बैंकों में उल्टे-सीधे लोन दिलवाने का काला धंधा पहले से चलता रहा है। लोन दिलवाने के नाम पर बैंकों के बहुत से बड़े अफसर मोटी कमीशन लेते रहे हैं। चूंकि पहले इस तरह की कोई जवाबदेही नहीं होती थी, इसीलिए जमकर पंजीरी खाई जा रही थी। अब इस सुनियोजित लूट पर मोदी सरकार ने लगाम लगा दी। लेकिन, अभी भी यह सिलसिला पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। कुछ मोटी चमड़ी वाले शातिर चोर अभी भी काले धंधे में लगे हुए हैं। पर पहले वाली स्थिति नहीं रही। रोग पुराना है इसलिए उसे दूर करने में कुछ वक्त तो लगेगा ही। मोदी सरकार बैंकों में फैली गड़बड़ियों को साफ करने में लग गई है। इस क्रम में बैंकिंग क्षेत्र की कई बड़ी मछलियां धीरे-धीरे सीबीआई के जाल में फंस चुकी हैं। ये नाजायज नोट कमाने का काला धंधा करते रहे हैं। इनका जमीर मर गया था। ये देश को खुलेआम धोखा दे रहे थे।
लगता है कि धंधेबाज बैंककर्मियों के चांदी काटने के दिन खत्म हो गए। धीरे-धीरे ही सही पर बैंकिंग सिस्टम लाइन पर आ रहा है। बैंकों में ईमानदार और निष्ठावान मुलाजिम पहले भी थे। मान कर चलिए अब बैंकिंग क्षेत्र का कायाकल्प होकर रहेगा। सरकार बैंकिंग क्षेत्र में फैली गंदगी साफ करेगी ही। इसी काम में मोदी सरकार लगी है ताकि भविष्य में चंदा कोचर और राणा कपूर जैसे कुपात्र फिर सामने ना आएं।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)