दलाल 'रियल मैंगो' सॉफ्टवेयर से उड़ा रहे थे कन्‍फर्म टिकट, रेलवे ने किया भांडाफोड़

रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने रियल मैंगो उर्फ 'रेयर मैंगो' नाम के एक इल्लीगल सॉफ्टवेयर का पता लगाया है, जिसके जरिए कोरोना वायरस महामारी के दौरान रेलवे की कन्‍फर्म टिकट बुकिंग की जा रही थी. इस मामले में पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और गुजरात से 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसके साथ ही पुलिस ने 5 लाख रुपये से अधिक के टिकट जब्त किए हैं.

जांच में पाया गया कि जैसे ही रेलवे की टिकट बुकिंग शुरू होती थी दलाल इस सॉफ्टवेयर के जरिए सारी कन्‍फर्म टिकट उड़ा लेते थे. फिलहाल RPF ने इन सॉफ्टवेयर्स को डेस्ट्रॉय कर दिया है. उत्तर मध्य रेलवे (NCR), पूर्वी रेलवे (ER) और वेस्टर्न रेलवे (WR) की RPF यूनिट्स ने रेयर मैंगो सॉफ्टवेयर पर रोक लगा दी है.
बच्चों को मोबाइल देना हो सकता है खतरनाक, पैरेंट्स इन बातों पर करें अमल.
गिरफ्तार लोगों में अवैध सॉफ्टवेयर के डेवलपमेंट में शामिल किंगपिन (सिस्टम डेवलपर) और प्रमुख प्रबंधक शामिल हैं. इस सॉफ्टवेयर को 5 लेयर्ड सिक्योरिटी सिस्टम के तहत बेचा जा रहा था, जिसमें किंगपिन और टीम, मावेंस, सुपर विक्रेता, विक्रेता और एजेंट शामिल थे.
एनसीआर, ईआर और डब्ल्यूआर की आरपीएफ इकाइयों ने कुछ संदिग्धों को गिरफ्तार किया और इसऑपरेशन को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की. जांच में पाया गया कि ये इल्लीगल सॉफ्टवेयर कैप्चा को बायपास कर मोबाइल ऐप की मदद से बैंक ओटीपी को सिंक्रनाइज करता है और टिकट बुक करने के लिए इसे फॉर्म में फीड करता है.
स्मार्टफोन में इनबिल्ट आ रहे ये स्मार्ट फीचर, फोन को बनाते हैं बेहतर
आरपीएफ के जनरल डायरेक्टर अरुण कुमार ने कहा, ये सॉफ्टवेयर पैसेंजर और पेमेंट डिटेल्स को ऑटोफिल रखता है. 'रियल मैंगो' मल्टीपल आईडी के जरिए आईआरसीटीसी वेबसाइट पर लॉग इन करता था. आरपीएफ इस घोटाले में शामिल लगभग सभी लोगों को पकड़ने में सफल रही है. गिरफ्तार किए गए लोगों में पश्चिम बंगाल के सिस्टम डेवलपर चंद्र गुप्ता जो किंगपिन थे, की पहचान की गई. इसके अलावा इस अवैध सॉफ्टवेयर के संचालन में शामिल राहुल रॉय, रेहान खान, सुभेंदु विश्वास और सुबीर विश्वास जैसे लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
इससे पहले, दिसंबर 2019 और मार्च 2020 के बीच आरपीएफ ने एक राष्ट्रव्यापी कार्रवाई के तहत 104 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया था, जो एएनएमएस / लाल मिर्ची / ब्लैक टीएस, टिक्कॉक, आई-बॉल, रेड बुल, मैक जैसे अवैध सॉफ्टवेयर्स के डेवलपमेंट में शामिल थे. कंफर्म टिकट बुक करने के नाम पर डेवलपर्स ने अपने प्रोडक्ट का विज्ञापन करने के लिए YouTube का उपयोग किया था, जिसके इस तरह के अवैध सॉफ्टवेयर की जानकारी सामने आई.
भारत में लॉन्च हुआ Poco M2, जानें इस अफोर्डेबल स्मार्टफोन में क्या कुछ है खास

अन्य समाचार