कभी-कभी हमारे सबके मन में ना एक अजीब सी उलझन होती है। जिसको हम समझ नहीं पाते हैं। और हमारा मन और भी ज्यादा उलझता जाता है हालांकि बिना मांगे आदतन सलाह देने की आदत जी बड़ी घातक होती है। जी हां यदि आप ऐसे पद पर हैं जहां सलाह देनी होती है। तो वह आपका कर्तव्य है कि कोई आपसे वास्तव में सलाह मांगे लेकिन किसी विषय का ज्ञान हो और चला दी जानी चाहिए। हमें सलाह देने से बचना चाहिए सलाह देने का स्वभाव हमारा अहंकार को बढ़ावा देता है। वैसे ही संसार में सबसे ज्यादा सलाह दी जाती हैं और सबसे कम सलाह दी जाती है। बिना मांगे के सलाह देने के बजाय आपको अपनी रियल truth में रहना चाहिए।
वैसे तो सत्य दो प्रकार का होता है एक व्यवहारिक सच और एक दूसरा वास्तविक साथ व्यवहारिक सच का अर्थ है जैसा कि देखा जैसा सोना जैसा अनुभव किया उसको वैसा ही बोलना सत्य कहलाता है। व्यवहारिक सत्य में हो सकता है कि जो एक के लिए सत्य है दूसरे के लिए झूठ हो वैसे तो हर व्यक्ति अपने मुताबिक अपना सत्य बना लेता है लेकिन यह व्यवहारिक सत्य, अनुभव, नजरिए और देश, काल के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। इसलिए इसमें मतभेद की संभावना बनी रहती है।