नई दिल्ली: सोमवार को दिल्ली के छावला, नजफगढ़ इलाके से एक बेहद शर्मनाक, इंसानियत को तार-तार करता हुआ मामला सामनें आया है, जहां एक 90 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार और उसपर हमला करने की घटना को अंजाम दिया गया।
देश में लगातार महिलाओं के साथ हो रही अपराध की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, देश के अलग-अलग राज्यों से महिलाओं के साथ हो रही दुष्कर्म की घटनाओं ने हर किसी को झंकझोर कर रख दिया है।
महिला के अनुसार, वह शाम करीब 5 बजे अपने दूधवाले का इंतजार कर रही थी, उस वक्त अरोपी महिला के पास आया और उसने महिला से कहा कि उसका नियमित दूधवाला आदमी आज नहीं आएगा और वह उसे उस जगह ले जाएगा जहां उसे दूध मिल सकता है। इसके बाद आरोपी 90 साल की महिला को एक खेत वाले इलाके में ले गया और उसके साथ क्रूरता से बलात्कार किया। महिला रोती रही और गिड़गिड़ाती रही कि वह उसकी दादी की उम्र की है, लेकिन आरोपी नहीं रुका। जब उसने विरोध करने और खुद को बचाने की कोशिश की तो उसने बड़ी बेरहमी से उसके साथ मारपीट की और कई बार उसका बलात्कार किया।
जैसे ही महिला मदद के लिए चिल्लाई, स्थानीय ग्रामीणों ने उसकी चीख पुकार सुनी और उसकी मदद के लिए दौड़ पड़े। उन्होंने आरोपियों को पकड़ लिया और पुलिस को बुलाया। महिला को खून में लतपत पाया गया और वह सदमें में थी। स्थानीय लोगों ने बुजुर्ग महिला के बेटे को बुलाया और वहां से पुलिस बुजुर्ग महिला को मेडिकल परीक्षण के लिए ले गए।
बुजुर्ग की मेडिकल जांच रिपोर्ट में उसके शरीर पर कई चोटों और घावों के बारे में बताया गया, खासकर उसके निजी अंगों पर।
इस बीच, दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (यौन उत्पीड़न के लिए सजा) और 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की है और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी की पहचान रेवला खानपुर गांव में रहने वाले 33 वर्षीय सोनू के रूप में हुई है।
डीसीडब्ल्यू चीफ स्वाति मालीवाल और सदस्य वंदना सिंह ने आज छावला में महिला के घर पर उनसे मुलाकात की। डीसीडब्ल्यू चीफ स्वाति मालीवाल ने कहा, "छह महीने की बच्ची से लेकर 90 साल की महिला तक, कोई भी दिल्ली में सुरक्षित नहीं है। इस महिला को जिस तरह के आघात का सामना करना पड़ा, वह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि इन अपराधों के अपराधी मनुष्य नहीं हैं।" मैं आज महिला से मिली, वह एक बहुत साहसी महिला है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसे न्याय मिले। इस मामले को तेजी से सुलझाने की जरूरत है और छह महीने के भीतर न्याय दिया जाना चाहिए।"
"दो बार अनशन किया, आंदोलन किए, लाठियां खाई, अपने लिए कुछ नही मांग रही थी। बस यही मांगा की इस देश में ऐसे कानून बनाओ कि बालात्कार जैसे गुनाह के बारे में सोचने वाले दरिंदो की रूह कांपे। जो लोग आज अनदेखा कर रहे हैं, कल वो किसी की भी 6 महीने की बच्ची या 90 साल की दादी हो सकती है" pic.twitter.com/gno7j3Tyd5