बड़े से बड़े जहाजों को अपनी तरफ खींचता था भारत का ये अनोखा मंदिर

भारतीय संस्कृति और हिंदुओं के धार्मिक स्थल पूरी तरह दुनिया में फैले हुए हैं। देश हो या विदेश हो। वहां पर कई सारे मंदिर आपको देखने को आसानी से मिल जाएंगे। हालाकिं इनको देखने के लिए लोग दूर-दूर से भी आते हैं। मगर आज हम आपको भारत के कैसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं कि बड़े से बड़ा जहाज भी अपने आप खींचा चलाता है।

उड़ीसा के पुरी शहर में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर एक ऐसा मंदिर है। जिसकी और बड़े से बड़ा जहाज भी अपनी तरफ खिंचा चला आता है बेहद खूबसूरत और रहस्यमय मंदिर उत्तर पूर्वी इलाके पर समुद्र तट के करीब बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि है इस मंदिर को पहले समुद्र के किनारे बनाया गया था। लेकिन धीरे-धीरे समुद्र कम होता गया और मंदिर भी समुद्र के किनारे से थोड़ा दूर होता गया। इस मंदिर के गहरे रंग के कारण इसे काला पगोडा भी कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि आज भी इस मंदिर में साक्षात भगवान के दर्शन होते हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसमें 52 टन का चुंबक लगा है। और इसी कारण कोणार्क के समुद्र से गुजरने वाले जहाज इस ओर खिंचे चले आते हैं। इससे उन्हें भारी क्षति हो जाती हैइसलिए अंग्रेज इस पत्थर को अपने साथ निकाल ले गए मगर इस मंदिर को हटाने के बाद दीवारों के सभी पत्थर असंतुलित हो गए और मंदिर की दीवारों का संतुलन खो गया जिससे वह अपने आप ही गिर गया।
यहां कि अद्वितीय मूर्तिकला और कई कहानियां इस मंदिर को खास बनाती है। भारत के प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया था इस मंदिर में भगवान सूर्य की तीन प्रतिमाएं हैं बाल्यावस्था उदित सूर्य की ऊंचाई 8 फीट की है। युवावस्था जिसे मध्यमा सूर्य कहा जाता है उसकी उनकी ऊंचाई 9.5 फुट की है तीसरी अवस्था है प्रौढ़ावस्था में सूर्यास्त कहा जाता है उसकी ऊंचाई 3. 5 फीट की है

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