लखीसराय। शहरी क्षेत्रों में कुओं की पर्याप्त देखभाल नहीं होने के कारण उनका अस्तित्व संकट में आ गया है। नगर क्षेत्र में सफाई के अभाव में पूर्व में बनाए गए कुएं कचरे से पट रहे हैं और अनुपयोगी हो रहें है। नगर एवं प्रखंड क्षेत्र में पीएचईडी एवं हर घर जल नल के द्वारा पेयजल आपूर्ति होने के कारण कुएं की उपयोगिता कम होने लगी है। इस कारण कुआं कूड़ादान बन गया है। दो दशक पहले जब हैंडपंप की कमी और नलजल योजना का अभाव था तब कुआं ही ऐसा साधन था जो लोगों के बारहमासी पेयजल का प्रमुख साधन हुआ करता था। लोग इन कुओं की देखभाल स्वयं करते थे। बड़हिया नगर पंचायत की वार्ड संख्या 22 स्थित बड़की कुआं के नाम से प्रसिद्ध कुआं का हाल बेहाल है। दो दशक पूर्व पूरे मुहल्ले के लोग इस कुआं से पीने का पानी घर ले जाते थे। स्नान से लेकर और भी सारी प्रक्रिया कुआं के पानी से करते थे। ग्रामीण सच्चिदानंद सिंह उर्फ मुखिया जी, भूषण सिंह, चन्द्रमौली सिंह, बब्बन सिंह, राम अशोक सिंह, रामचन्द्र सिंह आदि बताते हैं कि 10-15 वर्ष पूर्व तक इसी कुआं के पानी से सारा कार्य होता था, मवेशियों को भी पानी पिलाया जाता था। जब से पीएचईडी एवं हर घर जल नल पहुंचने लगे। लोग कुआं के प्रति उदासीन होते चले गए। इस कारण आज कुआं की साफ सफाई भी नहीं होती है। लोग अपने घरों का कचरा कुआं में डालते हैं। कुंए को कूड़ादान बना दिया गया है। आलम यह है कि अब मवेशी इसकी चपेट में आ जाते हैं। कुएं में गिरे मवेशी को निकालने में भारी मशक्कत करनी पड़ती है। इस संबंध में नगर पंचायत बड़हिया के कार्यपालक पदाधिकारी विनय कुमार ने बताया कि नगर स्थित सभी कुआं का सर्वे कराया गया है। लगभग 95 कुआं है जिसमें बहुत कुआं मृत हो गया है। चालू कुआं का जल जीवन हरियाली योजना के तहत जीर्णोद्धार कार्य जल्द शुरू किया जाएगा। उसी के तहत वार्ड नंबर 22 स्थित बड़की कुआं का भी जीर्णोद्धार कराया जाएगा।
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Posted By: Jagran
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