आपके मोबाइल फोन के लोकेशन डाटा से कोरोनाकाल में बड़ी जानकारियां मिल रही हैं. इससे कोरोना प्रभावित एरिया की पहचान की गई. लॉकडाउन दोबारा लागू करना है या नहीं, यह भी तय किया जा सकता है. मना किए जाने के बावजूद लोग कितना घर से बाहर निकले, इसे भी ट्रैक किया गया. यह दावा अमेरिकी रिसर्चर ने अपनी रिसर्च में किया है.
ऐसे हुई रिसर्च 1. इस रिसर्च में शामिल हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के असिस्टेंट प्रोफेसर शिव टी। सेहरा कहते हैं, लोकेशन का डाटा गूगल पर सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है. रिसर्च दो हिस्सों में, महामारी से पहले व महामारी के बाद के आंकड़ों के आधार पर की गई है.
2. पहले जनवरी व मिड फरवरी 2020 तक यूजर की लोकेशन का डाटा अलग किया, इस दौरान दशा नहीं बिगड़े थे. इसके बाद मिड फरवरी से लेकर मई 2020 तक का लोकेशन डाटा अलग किया. इस दौरान संक्रमण के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे थे.
3. दोनों स्थितियों के आंकड़ों की तुलना की गई. लोगों की लोकेशन का डाटा छोटे-छोटे हिस्सों में स्थान के हिसाब से बांटा गया. जिन्हें ट्रैक किया जा रहा था, उनके घर से वर्कप्लेस (ऑफिस), घर, रिटेल स्टोर, ग्रॉसरी स्टोर, पार्क व ट्रांजिट स्टेशन कितने दूर हैं, इसका पता लगाया गया.
4. दोनों स्थितियों की तुलना करने पर पता चला कि जिन राष्ट्रों में कोरोना के मुद्दे बढ़े वहां लोग अपने कार्यालय जा रहे थे व रिटेल स्टोर में खरीदारी कर रहे थे. जिन शहरों में लोग घर पर थे वहां मुद्दे कम थे.
मोबाइल डाटा महामारी में तय करेगा पॉलिसी रिसर्चर्स के मुताबिक, अमेरिका में वर्कप्लेस पर मोबाइल को प्रयोग करने का समय घटा है क्योंकि लोग घरों में थे. इस दौरान कोरोना के मुद्दे कम थे. यह रिसर्च करने वाली अमेरिका की पेन्सेल्वेनिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स कहते हैं, अब तक सामने आए नतीजे उम्मीदोंभरे हैं. महामारी में मोबाइल लोकेशन का डाटा यह तय करने में सहायता करेगा कि कहां खतरा अधिक है.