Sankashti Chaturthi 2020: आज है संकष्टी चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना के लिए आज शनिवार के दिन का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी है. संकष्टी चतुर्थी हर महीने में पड़ती है, लेकिन आश्विन मास में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का महत्व विशेष होता है. इस दिन भगवान शंकर के पुत्र श्री गणेश अपने भक्तों पर मेहरबान होते है. पूरे भारत में इस दिन लोग गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं. हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है. भगवान गणेश को बुद्धि और विवेक का स्वामी माना जाता है. किसी भी पूजा में सबसे पहले भगवान श्री गणेश की ही पूजा करने का प्रावधान है. मान्यता है कि जो जातक सच्चे ह्रदय से संकष्टी चतुर्थी के व्रत को करता है उसपर गणेश भगवान का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है. संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय मुहूर्त चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: आज शाम 4 बजकर 38 मिनट से चतुर्थी तिथि लग जाएगी. चतुर्थी तिथि का समापन: कल 6 सितंबर को शाम 07 बजकर 06 मिनट पर चतुर्थी तिथि का लोप हो जाएगा. संकष्टी के दिन चन्द्रोदय का समय: 08 बजकर 38 मिनट. संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा विधि आज के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान करने बाद पूजा स्थल की साफ सफाई करें. आसन पर बैठकर भगवान गणेश की आराधना करें, व्रत का संकल्प लें और पूजा शुरू करें। गणेश जी की प्रिय चीजें पूजा में अर्पित करें और उन्हें मोदक यानि लड्डू का भोग लगाएं. इस व्रत सूर्योदय के समय से लेकर चंद्रमा के उदय होने तक रखा जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन है अनिवार्य संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन अनिवार्य माना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में देवों के देव यानि महादेव के छोटे पुत्र गणेश जी को प्रथम देव माना जाता है. इस वजह से हर मांगलिक कार्य जैसे विवाह, भूमि पूजन, सत्यनारायण भगवान की कथा से पहले पहले उनकी आराधना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से परिवार में हमेशा बरकत होती है. साथ ही घरेलू सभी समस्याओं का समाधान भी होता है.

अन्य समाचार