सब देवों के गुरु हैं बृहस्पति, जानें कुंडली में कैसे मजबूत होता है गुरु

गुरु बिन ज्ञान कहां। गुरु का स्थान परमेश्वर से भी अग्रणी है। गुरु बिना ज्ञान को पाना असंभव होता है। सौर मंडल में यदि गुरु की बात की जाए तो यह सूर्य के बाद सबसे बड़ा ग्रह है। इसलिये गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। जन्मपत्री में अगर गुरु कमजोर है तो व्यक्ति को कई प्रकार के कष्ट भुगतने पड़ते हैं। वह न तो धन कमा पाता है, न ही उसे वैवाहिक जीवन का सुख मिलता है। और तो और वह नौकरी में किसी उच्च पद पर भी नहीं पहुंच पाता है। इसलिए कुंडली में गुरु को हमेशा मजबूत रखना चाहिए। शिक्षक दिवस के मौके पर ज्योतिषाचार्य साक्षी शर्मा बता रही हैं, नक्षत्रों के गुरु बृहस्पति का बखान।

कौन है बृहस्पति!!
धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु/बृहस्पति की मित्रता सूर्य, मंगल, चंद्र से हैं, वहीं शुक्र और बुध इनके शत्रु ग्रह और शनि और राहु सम ग्रह हैं। पुराणों के अनुसार बृहस्पति समस्त देवी-देवताओं के गुरु हैं। वे महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं। उनकी माता का नाम सुनीमा है। इनकी बहन का नाम योग सिद्धा है।
कैसे जाने की कुंडली में गुरु शुभ है अथवा अशुभ:
शुभ होने के लक्षण: जिसका गुरु प्रबल होता है उसकी आंखों में चमक और चेहरे पर तेज होता है। अपने ज्ञान के बल पर दुनिया को झुकाने की ताकत रखने वाले ऐसे व्यक्ति के प्रशंसक और हितैषी बहुत होते हैं। ऐसे व्यक्ति मिलनसार और ख्‍याति प्राप्त होते हैं। वे प्रतिभाशाली होने के बावजूद नम्र स्वभाव वाले होते है। तथा दूसरों की हर संभव सहायता करते है।
अशुभ होने के लक्षण: यदि आपके शरीर के भीतर गुरुत्व बल कमजोर होने लगा है तो सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ने लगे है। आपका मन आडंबरों में लगने लगा है। गले में व्यक्ति माला पहनने की आदत डाल लेता है। ऐसे व्यक्ति के संबंध में व्यर्थ की अफवाहें उड़ाई जाती हैं। ऐसे व्यक्ति के अनावश्यक दुश्मन पैदा हो जाते हैं। उसके साथ कभी भी धोखा हो सकता है। सांप के सपने लगातार आ रहे हैं तो यह गुरु की अशुभता की पहचान है।
अशुभता की स्थिति में क्या उपाय करें:
1. यदि आपका गुरु अशुभ या कमजोर है तो आपको नित्य पीपल में जल चढ़ाना चाहिये।
2. सदा सत्य बोलें और अपने आचरण को शुद्ध रखें तो गुरु शुभ फल देने लगेगा।
3. इसके अलावा गुरु को शुभ करने के लिए सदा पिता, दादा और गुरु का आदर कर उनके पैर छुएं।
4. गुरुवार के दिन पीली वस्तु का सेवन करें। घर में धूप-दीप दें। प्रतिदिन प्रात: और रात्रि को कर्पूर जलाएं।
5. घर के वास्तु को बदलें और घर को गुरु के अनुसार बनाएं। घर के बर्तन आदि वस्तुएं पीतल की रखें। तिजोरी या ईशान कोण में हल्दी की गांठ को किसी सफेद कपड़े में हल्का से बांधकर रखें।
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