मोटापा आज हमारे स्वास्थ्य संबंधी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक, जाने ऐसे करे कम

मोटापा आज हमारे स्वास्थ्य संबंधी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. यूं तो हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार की वसा कोशिकाएं (Fat Cells) होती हैं. शरीर की अन्य कोशिकाओं की तुलना में ये कोशिकाएं अधिक वांछनीय होती हैं.

व्हाइट फैट सैल्स (White Fat Cells) दरअसल हमारे शरीर में पेट के निकलने व थुलथुले शरीर के लिए जिम्मेदार हैं जबकि अधिक फायदेमंद ब्राउन फैट (Brown Fat Cells) शरीर को ऊर्जा देने के लिए सरलता से पिघल (Fat Burn) जाती है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक नयी जीन-संपादन तकनीक (Gene-Editing Technique) विकसित की है जो व्हाइट फैट कोशिकाओं को ब्राउन फैट कोशिकाओं में परिवर्तित करती है. इन सेल्स को वैज्ञानिक आने वाले समय में मोटापे व मधुमेह के उपचार के रूप में हमारे शरीर में प्रत्यारोपित (Transplant) करेंगे.
व्यायाम से होने वाले प्रभाव की नकल अध्ययन के वरिष्ठ लेखक यू-हुआ त्सेंग का बोलना है कि शरीर में अलावा वसा के लिए जिम्मेदार इन व्हाइट सैल्स को अनुवांशिक रूप से बदल दिया गया है. अब सरलता से पिघल जाने वाली ब्राउन फैट सैल्स में बदलने की इनकी क्षमता को बढ़ा दिया गया है. ये नयी जीन-संपादन तकनीक व्यायाम करने के दौरान शरीर पर पडऩे वाले प्रभाव की नकल करती हैं. वैज्ञानिकों का बोलना है कि इस फैट के नैनो पार्टिकल्स (Nano Particals) को इंजेक्शन के जरिए सीधे शरीर में जमी हुई व्हाइट फैट सैल्स व जीन थेरेपी में शामिल करते हैं जो वसा को तुरंत ब्राउन सैल्स में बदलने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर देती है.
पूर्व में भी हो चुके व्हाइट सैल्स पर शोध इस तकनीक के सबसे दिलचस्प उदाहरणों में से एक है 2018 का वह अध्ययन जिसमें कोलंबिया विश्वविद्यालय (Colambia University) की एक टीम ने क्लिनिकल परीक्षण के दौरान दिखाया कि कैसे शरीर से इन सफेद वसा कोशिकाओं को हटाया जा सकता है व ये सरलता से शरीर की अलावा चर्बी को दूर करने के लिए ब्राउन फैट सैल्स में बदल सकती है. जोसलिन डायबिटीज सेंटर (Joslin Diabetes Center) के वैज्ञानिकों ने इस नए शोध में जीन-एडिटिंग की अत्याधुनिक तकनीक 'क्रिस्पर' (CRISPR) की भी सहायता ली है ताकि वे व्हाइट सैल्स के प्रारंभिक विकास चरण में ही कोशिकाओं में परिवर्तन कर सकें. अनुसंधान के दौरान इन सफेद वसा कोशिकाओं को उनके शुरुआती काल में ही बदल दिया गया था व जीन-एडिटिंग टूल क्रिस्पर की सहायता से वैज्ञानिकों ने सेल में उपस्थित यूसीपी1 (UCP1) की सक्रियता को बढ़ाने के लिए किया था. टीम ने इस असर को 'हम्बल सेल्स' (HUMBLE cells, human brown-like) वसा कोशिकाएं कहते हैं.
कई रोगों का निदान होगा संभव यू-हुआ त्सेंग का बोलना है कि यह तकनीक भले ही मोटापे के उपचार के लिए एक आशाजनक तकनीक साबित हो सकती है लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए जोखिम दूसरे जानलेवा रोगों के लिए भी अच्छा विकल्प बन सकती है. इसमें टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetese) के उपचार की भी क्षमता है जिसका मुख्य कारण फैट की चर्बी ही है. टीम ने इस्तेमाल में पाया कि यह तकनीक टाइप 2 मधुमेह से वाले रक्त से ग्लूकोज साफ करने की क्षमता में भी वृद्धि करती है. अब टीम इस नयी चिकित्सा को उपचार में व्यवहारिक रूपसे उपयोग में लाने पर कार्य कररहे हैं.
त्सेंग कहते हैं कि मोटापे व टाइप 2 डायबिटीज के उपचार में सेल या जीन थेरेपी आधारित तकनीक का प्रयोग करना अब भी साइंस फिक्शन (Science Fiction) जैसा है. लेकिन क्रिस्पर जैसी तकनीक हमें चयापचय, शरीर के अलावा वजन, ज़िंदगी की गुणवत्ता सुधारने, मोटापे व मधुमेह जैसे जानलेवा रोगों के निदान में सहायता करेगी. यह शोध 'साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन' पत्रिका में प्रकाशित किया गया था.

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