जापान वालों ने ऐसा टॉयलेट बनाया है कि अंदर जाने से पहले 100 बार सोचोगे
योयोगी फ़ुकामाची मिनी पार्क में लगा हुआ टॉयलेट.
जिंदगी है क्या, एक अरमान सोचिए.दौलत के पीछे पागल, इंसान सोचिए.प्लास्टिक का घुटना और शीशे की लैट्रीन,क्या क्या बना रहा है जापान सोचिए.
ऊपर वाली लाइनें हमारे इनहाउस कवि आशीष ने लिखी है. लेकिन क्यों? और लेट्रीन वाली लाइनें ही क्यों? आप भी सोच रहे होंगे. तो बताए देते हैं कि जापान ऐसा पब्लिक टॉयलेट बनाया है जिसके आर पार दिखाई देता है. मतलब एक तो पब्लिक टॉयलेट, कि नाम सुनकर ही नाक-भौं सिकोड़ने लगे आदमी, ऊपर से ट्रांसपैरेंट. मतलब कोई बड़ी हिम्मत से यहां जाए भी तो दिखने के डर में वापस निकल आए.
पर जापान तो जापान ठहरा. “जो दिखता है वही बिकता है” टाइप की क्लीशे लाइन कहीं पढ़ी होगी. तो ऐसा टॉयलेट ही बना दिया जिसमें अंदर से बाहर और बाहर से अंदर दिखता है. ताकि बाहर से ही दिख जाए कि अंदर साफ है या नहीं. इन पब्लिक टॉयलेट्स में दीवारों और दरवाज़ों के नाम पर केवल रंग-बिरंगी शीशे की दीवारे हैं.
अब ये खबर आई और लोग पूछने लगे, कि भईया अइसे टॉयलेट में जाएगा कौन. सब दिखेगा नहीं? तो इसके लिए डरने की बात नहीं है. अंदर जाने के बाद सिर्फ अंदर से बाहर दिखता है, बाहर से अंदर नहीं. कैसे? ये उपरोक्त फोटो देखिए, फिर बताते हैं.
दरवाज़ा बंद करने पर कांच अपारदर्शी बन जाता है.
तो कोई अंदर जाएगा तो क्या होगा?
सेंसर वेंसर टाइप का मामला है. जापान है तो भर-भर के तकनीक भी है इसमें. कोई अंदर जाएगा तो टॉयलेट की जो शीशे की दीवारें हैं वो अंदर से तो पारदर्शी रहेंगी, पर बाहर से ओपेक हो जाएंगे. मतलब बाहर से पारदर्शी नहीं रहेंगी. जैसी ऊपर वाली फोटो में दिख रहा है न, वैसी. लेकिन अंदर बैठे-बैठे आप आराम से देख सकते हैं कि सड़क पर या बाज़ार में क्या हो रहा है.
जापान को टॉयलेट के साथ एक्सपेरिमेंट करने में बड़ा मज़ा आता है. वहां ऐसे कमोड हैं जिनकी सीट बटन दबाने से खुल जाती है, मतलब हाथ से ऊपर-नीचे करने का टेंशन ही नहीं. सर्दियों में गर्म रहती है.