हिंदू धर्म शास्त्रों में व्रत त्योहारों को बहुत ही खास माना जाता हैं वही आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता हैं। इस बार यह व्रत 10 सितंबर को पड़ रहा हैं
इस व्रत को शादीशुदा महिलाए संतान के लिए रखती हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि जीवित्पुत्रिका व्रत करने से संतान को कष्टों से बचाया जाता हैं और उनकी आयु भी लंबी हो जाती हैं इस व्रत को निर्जला किया जाता हैं वही कुछ स्थानों पर इसे जितिया या जिउतिया व्रत के नाम से भी जानते हैं इस व्रत को प्रमुखता से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में मनाया जाता हैं तो आज हम आपको जीवित्पुत्रिका व्रत विधि और महत्व बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
आश्विन मास की अष्टमी को जीवित्पुत्रिका का व्रत निर्जला रखा जाता हैं यह उत्सव पूरे तीन दिनों तक होता हैं सप्तमी का दिन नहाय खाय के रूप में मनाया जाता हैं अष्टमी को निर्जला व्रत रखते हैं फिर नवमी के दिन व्रत का पारण किया जाता हैं। सप्तमी के दिन नहाय खाय का नियम होता हैं बिल्कुल छठ की तरह ही जिउतिया में नहाय खाय होता हैं
इस दिन महिलाएं सुबह उठकर गंगा स्नान करती है और पूजा करती है, अगर आपके आसपास गंगा नहीं हैं तो आप सामान्य स्नान कर भी पूजा का संकल्प कर सकती हैं। नहाय खाय के दिन एक बार ही भोजन किया जाता हैं। इस दिन सात्विक भोजन करते हैं। नहाय खाय की रात को छत पर जाकर चारों दिशाओं में कुछ खाना रख दिया जाता हैं ऐसी मान्यता है कि यह खाना चील व सियारिन के लिए रखा जाता हैं।