क्या आप देर तक मोबाइल पर सोशल मीडिया स्क्रॉल करती रहती हैं? आप हां कहें या न, हम जानते हैं कि इस समय 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग यही करते रहते हैं.
बदले हुए लाइफस्टाइल ने लोगों को इतना नहीं बदला था, जितना कोविड-19 ने बदल दिया. अब लोग रात देर तक जागते हैं व प्रातः काल देर तक सोते हैं. पर मम्मी से मुझे हमेशा इस बात पर डांट पड़ी है.
मैं अकसर ऐसी रिसर्च ढूंढती रहती हूं, जिनमें यह साबित हो सके कि रात देर तक जागना भी लाभकारी होता है व प्रातः काल देर से उठने वाले लोग ज्यादा इंटेलीजेंट व स्मार्ट होते हैं. दुर्भाग्यवश मुझे अब तक ऐसी कोई रिसर्च नहीं मिल पाई है. अगर आपको मिले तो प्लीज मुझे जरूर बताइएगा.
वर्क फ्रॉम होम का हैक्टिक वीक बिताने के बाद मैं सोच ही रही थी कि आज देर तक सोती रहूंगी. पर मम्मी की वही पुरानी आदत - कि प्रातः काल जल्दी उठो, सुबह जल्दी उठने से माइंड फ्रेश रहता है, गार्डन में जाओ, थोड़ा हरे पेड़-पौधों को निहारो, योग व व्यायाम करो.
ओह् भगवान! मम्मा को कौन समझाए. तो इस बार मैंने सोचा कि मैं कुछ ऐसा ढूंढती हूं जिससे पता चल सके कि वीकेंड पर देर तक सोने के कितने फायदे होते हैं. व ढूंढते-ढूंढते मुझे फिनलैंड यूनिवर्सिटी की यह रिसर्च मिली. यह रिसर्च तो बिल्कुल मम्मी की हां में हां मिलाने वाली थी. जिसने डाटा के साथ बताया कि प्रातः काल जल्दी उठकर हम अपनी स्वास्थ्य के लिए कितने सहायता गार हो सकते हैं. सबसे बड़ी बात कि इससे वेट लॉस में भी सहायता मिलती है.
सुबह जल्दी उठना होता है फायदेमंद
फिनलैंड स्थित आउलू यूनिवर्सिटी के हालिया अध्ययन में बिल्कुल मेरी मम्मी वाली नसीहत दी गई है. इसके शोधकर्ताओं के मुताबिक सूरज की पहली किरण के साथ बिस्तर छोड़ देने वाले लोग दिन भर ज्यादा तरोताजा व तनावमुक्त महसूस करते हैं. इससे वे शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय तो रह ही पाते हैं, साथ ही उनमें स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल का उत्पादन भी घटता है.
ब्लड शुगर व कोलेस्ट्रॉल रहता है कंट्रोल
दोनों ही चीजें वजन के साथ प्रातः काल जल्दी उठने वाले लोगों को कार्य में मन लगाने में भी सरलता होती है. इससे उनकी उत्पादकता बढ़ती है व प्रमोशन और वेतनवृद्धि की गुंजाइश बढ़ जाती है.
पॉल हिग्स के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने प्रातः काल जल्दी व देरी से उठने वाले लोगों की शारीरिक गतिविधियां आंकी. इस दौरान जल्दी बिस्तर छोड़ने वाले प्रतिभागी ज्यादा सक्रिय नजर आए. पुरुषों की स्वास्थ्य पर इसका आधे घंटे की चहलकदमी जितना लाभ दिखा.
महिलाओं को 20 मिनट की एक्सरसाइज़ जितना लाभ मिला. उधर, देर से जगने वालों में आलस्य का भाव ज्यादा दिखा. इस कारण उनमें मोटापे, टाइप-2 डायबिटीज का खतरा भी अधिक दर्ज किया गया.
इस अध्ययन के नतीजे तो 'स्कैंडिनेवियन जर्नल ऑफ मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स' के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं. पर आपने क्या सोचा गर्ल्स!
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