16 वर्ष की आयु से पहले जिम करना हो सकता है हानिकारक

दुनियाभर के बाल रोग जानकार ों का बोलना है कि जब तक बच्चे का पूर्ण शारीरिक विकास न हो, उसे जिम में हैवी ट्रेनिंग नहीं करनी चाहिए. बच्चों को 16 वर्ष से पहले जिम नहीं जाना चाहिए.

इससे पहले उन्हें आउटडोर स्पोट्र्स जैसे फुटबॉल, बास्केटबॉल, क्रिकेट, बैडमिंटन व एरोबिक्स करनी चाहिए. बच्चों को अपनी पसंद की एक्टिविटी जिमनास्टिक, साइकिल चलाना व जॉगिंग सप्ताह में तीन बार जरूर करनी चाहिए. जिमनास्टिक, रस्सी कूदना व रॉक क्लाइम्बिंग जैसी एक्टिविटी से मांसपेशियां व हड्डियां मजबूत होती हैं. एरोबिक्स से दिल की गतिविधियां सामान्य रहती हैं व योगासन से शरीर में लचीलापन बढ़ता है.टीनएजर्स यह करें - 14-17 वर्ष तक के किशोर जिम में कोई भी एक्टिविटी बिना ट्रेनर के न करें, क्योंकि गलत ढंग से व्यायाम करने से मसल्स व बोन इंजरी जैसी समस्या हो सकती है. जिम की बजाय इन्हें फुटबॉल, वॉलीबॉल, स्वीमिंग व डांस जैसी एक्टिविटीज में भाग लेना चाहिए. हाइट कम रह जाना - हड्डियों में ग्रोथ प्लेट्स होती हैं, जो भारी वजन उठाने से नष्ट हो सकती हैं व इससे हाइट बढऩा रूक जाती है. आवश्यकता से ज्यादा प्रोटीन लेने पर मेटाबॉलिक सिस्टम पर असर पड़ता है. शरीर में फैट जमा होने लगता है. दिमाग पर जोर- बॉडी बिल्डिंग के दौरान डाइटिंग करने से ना सिर्फ दिमाग की नसों को नुकसान होता है, बल्कि बच्चे को एनिमिया, हर्ट व किडनी संबंधी कठिनाई हो सकती है. हड्डियों का निर्बल होना- स्टेरॉयड्स या बॉडी बनाने वाली दवाइयां लेने से हड्डियां निर्बल होती है. इसके साथ ही मसल्स की लेंथ कम होने की भी संभावना होती है. लिगामेंट्स पर बुरा असर- इंस्ट्रक्टर की देखरेख के बिना जिमिंग करने से बच्चे की मांसपेशियों और हड्डियों को जोडऩे वाले लिगामेंट्स पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

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