शीतलचीनी काली मिर्ची जैसी होती है. इसे कच्ची अवस्था में तोड़कर सुखा लेते हैं. जीभ पर रखने से ठंडक महसूस होती है, इसीलिए इसे शीतलचीनी या कबाबचीनी भी कहते हैं. यह पंसारी या जड़ी-बूटी की दुकान पर सरलता से मिल जाती है.
गर्म पानी में शीतलचीनी का ऑयल डालकर उसकी भाप सूंघने से सांस के रोग अच्छा होते हैं. मुंह के छाले होने पर पांच ग्राम छोटी इलायची और कत्था मिलाकर चूर्ण बना लें, दिन में दो बार लें. खांसी होने पर इसकी एक से चार ग्राम मात्रा शहद के साथ लेने से आराम मिलता है. दांतों में कीड़े नहीं लगने देती दालचीनी छोटी-सी दालचीनी टुकड़े के ढेरों फायदे हैं. अगर मुंह से दुर्गंध आती हो तो दालीचीनी का एक टुकड़ा दिन में दो बार चूसें. दांतों में कीड़े न लगे इसके लिए दालचीनी पाउडर को पानी में मिलाकर गरारे करें. दालचीनी के पाउडर में नींबू मिलाकर पेस्ट बना लें, अब इसे चेहरे पर लगाएं इससे कील मुहांसों की समस्या दूर होगी. अगर बाल गिरते हों तो शहद में दालचीनी पाउडर मिलाकर बालों में लगाएं व इसे 10-15 मिनट के बाद धो लें, बाल झडऩा बंद हो जाएंगे. दालचीनी पेस्ट का लेप माथे पर करने से सिरदर्द में आराम मिलता है.